Related News
#मुफ़लिस_का_सहारा_दिल_ही_तो_है…….मनस्वी अपर्णा की रचना पढ़िये!
मनस्वी अपर्णा ============== #मुफ़लिस_का_सहारा_दिल_ही_तो_है मुझे बचपन और अभाव कुछ अर्थों में एक जैसे लगते हैं….. कारण बताती हूं, दोनों में आशा और अहसास की कोमलता बची रहती है, एक कौमार्य होता है दोनों ही परिस्थितियों में…. जब हम बच्चे होते हैं तो हमारे पास बहुत सी आशाएं होती हैं जो बिलकुल अनछुई होती है भले […]
सच्ची घटना……सालों बाद उसकी कॉल आई मेरे पास ….!!
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============ सच्ची घटना……!! सालों बाद उसकी कॉल आई मेरे पास ….!! ड्यूटी से रात्रि 10 बजे लोट कर आया खाया पिया 11 बज गये नींद नही आ रहा था और और कब रात के करीब 1:30 बज गये पता ही नही चला मैं जगा हुआ था। इंस्टाग्राम पर फीड्स स्क्रॉल कर रहा […]
यूं ही खुले अंबर के नीचे कभी……पूजा भूषण झा कवयित्री की रचना पढ़िये!
पूजा भूषण झा, वैशाली, बिहार =========== हां तुम और मैं….✍️✍️(नई रचना) यूं ही खुले अंबर के नीचे कभी दूर तक खुली मैदान के बीच बैठकर हम दोनों घंटों तक साथ हो कभी चांदनी रात में और बात करते रहें निरंतर तुम और मैं, हां तुम और मैं। कुछ दुख अपना बांटे तुमसे कुछ सुख की […]