पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने ईरान के साथ सैन्य और सुरक्षा संबन्धों को बहुत महत्वपूर्ण बताया है।
ख़्वाजा मुहम्मद आसिफ़ ने इस्लामाबाद में ईरान के राजदूत सैयद मुहम्मद अली हुसैनी के साथ भेंटवार्ता की। इस मुलाक़ात में उन्होंने इस्लामाबाद और तेहरान के बढ़ते संबन्धों का उल्लेख किया। उन्होंने पाकिस्तान और ईरान के बीच समुद्री क्षेत्र में संयुक्त समझौते का उल्लेख करते हुए दोनो देशों के बीच अधिक से अधिक संबन्ध विस्तार की मांग की।
पाकिस्तान के रक्षामंत्री और ईरान के राजदूत ने इस भेंटवार्ता में तस्करी को रोकने के उद्देश्य से दोनो देशों की संयुक्त सीमा पर व्यापार को क़ानूनी रूप देने पर ज़ोर दिया। आतंकवाद और तस्करी सहित कुछ अन्य मुद्दों पर पाकिस्तान के सामने कुछ एसी चुनौतियां हैं जिन्होंने इस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डाले हैं।
अफ़ग़ानिस्तान से बहुत बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के लिए मादक पदार्थों की तस्करी और इसी प्रकार बिना किसी रोकटोक के दोनो देशों में आतंकवादियों का आवागमन, पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया है। इस मुद्दे के कारण कई बार इस्लामाबाद और काबुल के संबन्धों में तनाव पैदा हुआ है।
ईरान के साथ सैन्य एवं सुरक्षा सहकारिता पर आधारित पाकिस्तान के रक्षामंत्री का बयान उन संयुक्त चुनौतियों के कारण है जिनका सामना वर्तमान समय में दोनो देशों को करना पड़ रहा है। यही विषय दोनो पक्षों को इस क्षेत्र में अधिक से अधिक सहयोग के लिए प्रेरित करता है।
आतंकवादियों के प्रवेष को रोकने और मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से हालिया कुछ वर्षों के दौरान सीमाओं पर अधिक नियंत्रण के लिए ईरान, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय एवं द्विपक्षीय बैठकें आयोजित हुई हैं। हालांकि इन बैठकों के बावजूद वैसे परिणाम सामने नहीं आ पाए जिनकी अपेक्षा की जा रही थी।
संयुक्त योजनाओं को लागू करने में पाकिस्तान की ओर से कम ध्यान देने के कारण आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी इस्लामाबाद के लिए एक स्थाई सुरक्षा चुनौती के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। एसा लगता है कि ईरान के साथ सुरक्षा एवं सैन्य सहयोग के लिए पाकिस्तान अगर दृढ संकल्प का प्रदर्शन करता है तो उसको फिर इस बारे में निश्चित रूप में क़दम उठाने होंगे। यदि एसा होता है तो पाकिस्तान और ईरान के लिए आतंकवाद तथा मादक पदार्थों की तस्करी जैसी संयुक्त चुनौतियों को किसी सीमा तक कम किया जा सकता है।