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पाकिस्तान : खैबर पख्तूनख्वाह में ईशनिंदा के आरोप में मस्जिद के इमाम की पीट-पीटकर हत्या!

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के मरदान शहर में एक राजनीतिक रैली में दिए गए भाषण से नाराज़ लोगों ने एक शख्स पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उसे बुरी तरह से मारा-पीटा जिससे उसकी मौत हो गई.

मरदान के पुलिस अधिकारी नजीबुर रहमान ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि मौलाना निगार अली नाम के एक व्यक्ति ने एक राजनीतिक पार्टी की रैली में वहां मौजूद एक स्थानीय राजनीतिक नेता के बारे में कुछ शब्द कहे, जिससे वहां के लोग भड़क गए.

पुलिस ने अभी तक इस घटना का मामला दर्ज नहीं किया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे विभिन्न स्रोतों से घटना में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और जांच के बाद मामला दर्ज किया जाएगा.

बीबीसी संवाददाता अज़ीज़ुल्लाह खान के मुताबिक, मारे गए मौलाना निगार अली स्थानीय मस्जिद के इमाम थे. उनके शव को स्थानीय अस्पताल भेज दिया गया है.

मरदान पुलिस के एक अधिकारी ने पत्रकार मुहम्मद जुबैर खान को बताया कि जब राजनीतिक दल की बैठक में मौलाना निगार अली के भाषण पर रैली में शामिल लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, तो मौके पर मौजूद अधिकारियों ने उन्हें नाराज़ भीड़ से बचाया और पास की एक दुकान में ले गए.

अधिकारी का कहना है कि इस मौके पर विद्वान और नेता भी वहां पहुंचे और बातचीत की प्रक्रिया शुरू की गई जबकि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए और पुलिस बल बुलाया गया.

पुलिस अधिकारी के मुताबिक़ बातचीत की प्रक्रिया चल ही रही थी कि गुस्साई भीड़ ने दुकान पर धावा बोल दिया और मौलाना निगार को जबरदस्ती दुकान से बाहर निकाल लिया और मार-पीट करते हुए अपने साथ ले गए.

उन्होंने कहा कि भारी संख्या में आक्रोशित लोगों के कारण पुलिस उन्हें रोक नहीं पाई. हालांकि, पुलिस ‘राजनीतिक दल के अन्य नेताओं को सुरक्षित करने में कामयाब रही.’

पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि भीड़ इतनी गुस्से में थी कि वे शव सौंपने को तैयार नहीं थे, लेकिन पुलिस ने आखिरकार मृतक के शव को अपने संरक्षण में लिया और उसे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया.

खैबर पख्तूनख्वा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मुहम्मद आजम खान ने मरदान में हुई घटना पर खेद व्यक्त किया और कहा कि राजनीतिक सभाओं को राजनीतिक बयानों तक सीमित रखा जाना चाहिए.

एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़, उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक मामलों को धार्मिक रंग देने से बचना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने लोगों से कानून हाथ में लेने से बचने की अपील की, “ऐसे मामलों में कानून को अपना काम करने देना चाहिए. मौजूदा स्थिति में धैर्य की तत्काल आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा कि घटना के संदर्भ में विद्वानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. उलेमाओं को आगे बढ़कर शांति व्यवस्था और धार्मिक सद्भाव का माहौल बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए.