देश

पाकिस्तान ने कश्मीर को खुद का हिस्सा बताने का दावा किया, पेश किया कश्मीर का ग़लत नक्शा!

पाकिस्तान ने मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत एक भारतीय थिंक टैंक द्वारा आयोजित सैन्य चिकित्सा विशेषज्ञों के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने पाकिस्तान के उस नक्शे पर आपत्ति जताई थी जिसमें उसने कश्मीर को खुद का हिस्सा बताने का दावा किया।

एससीओ सशस्त्र बलों का सैन्य चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवा और महामारी में योगदान पर आयोजित सम्मेलन में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को भाग लेना था। भारत ने नक्शा में सीमा को गलत दिखाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारत ने कहा कि, पाकिस्तान को बताया गया कि मानचित्र में कश्मीर के गलत प्रदर्शन पर उसे आपत्ति है और अगर वह सम्मेलन में भाग लेना चाहता है तो उसे सही नक्शा दिखाना होगा। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने सम्मेलन को छोड़ने का फैसला किया।


इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ने सम्मेलन की मेजबानी की। भारत समूह की अध्यक्षता में एससीओ देशों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों और सेमिनारों की मेजबानी कर रहा है। एससीओ के सदस्य देश भारत, रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान और पाकिस्तान हैं।


संबंध सुधारने की पहल करनी होती तो जी-20 के लिए देते न्योता
भारत इस साल एससीओ की तरह जी-20 की भी मेजबानी कर रहा है। बतौर मेजबान भारत ने इस समूह के गैरसदस्य देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, नीदरलैंड, मॉरिशस, ओमान, नाइजीरिया, सिंगापुर, स्पेन को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। सूत्रों ने कहा कि अगर संबंध सुधारने की पहल करनी होती तो भारत पाकिस्तान को जी-20 में विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित करता, जबकि सूची में पाकिस्तान नहीं है। सरकारी सूत्र ने कहा कि संबंध सुधारने की पहल के लिए बिलावल और ख्वाजा आसिफ उपयुक्त व्यक्ति नहीं हैं। भारत को पता है कि इसकी पहल कहां से करनी होगी। चूंकि एससीओ सम्मेलन में सदस्य देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की बैठक होनी है और भारत मेजबान देश है। ऐसे में उसके साथ बतौर मेजबान इसके सदस्य देशों के प्रति प्रतिबद्धताएं जुड़ी हुई हैं। दोनों मंत्रियों को निमंत्रण महज शिष्टाचार और भारत की बहुपक्षीय प्रतिबद्धता है।

अरसे से ठंडे हैं द्विपक्षीय रिश्ते
भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय रिश्ते मुंबई में आतंकी हमले के बाद से ठंडे बस्ते में हैं। साल 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत आई थीं। साल 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और इसी साल पीएम मोदी बिना किसी कार्यक्रम के पाकिस्तान गए। इसी बीच पहले पठानकोट एयरबेस और इसके बाद उरी में सेना के उपमुख्यालय पर हुए आतंकी हमले ने रिश्ते बेहतर होने की संभावनाओं पर पानी फेर दिया।