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पाकिस्तान में चरमपंथी, आतंकी मज़बूत हो रहे हैं : रिपोर्ट

पाकिस्तान के पेशावर शहर में रेड ज़ोन इलाक़े में स्थित मस्जिद के भीतर हुए आतंकी हमले ने बड़े महत्वपूर्ण सवालों को जन्म दिया है।

पेशावर की मस्जिद में नमाज़ के समय होने वाले धमाके में मरने वालों की संख्या 100 के आसपास पहुंच गई है और दर्जनों लोग घायल हैं।

पेशावर ख़ैबर पख़्तून ख़्वा प्रांत की राजधानी है और हालिया कुछ महीनों में इस सूबे में चरमपंथियों ने कई हमले किए हैं और पेशावर हमले सहित इन सारे हमलों में मुख्य रूप से पुलिसकर्मियों और अफ़सरों को निशाना बनाया गया है।

बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में जायज़ा लिया कि 2014 में जब पाकिस्तान की सेना ने अफ़ग़ानिस्तान से लगे क़बायली इलाक़ों में सैनिक आप्रेशन किया तो प्रतिबंधित तहरीके तालेबान पाकिस्तान टीटीपी के बहुत सारे आतंकी मारे गए और अधिकतर सीमा पार करके अफ़ग़ानिस्तान चले गए।

अशरफ़ ग़नी की पूर्व सरकार के दौर में अफ़ग़ानिस्तान में भी तालेबान के ख़िलाफ़ कार्यवाहियां की गईं जिसकी वजह से पाकिस्तान के भीतर इस संगठन का नेटवर्क कमज़ोर हुआ मगर 2021 तालेबान की सरकार आने के बाद टीटीपी दोबारा सक्रिय हो गई है।

इमरान ख़ान की सरकार ने टीटीपी के तत्वों को हथियार डालकर स्वदेश लौटने की दावत दी थी। कुछ टीकाकार कहते हैं कि यह रणनीति ग़लत थी क्योंकि यह तत्व हथियार डालकर वापस तो ज़रूर आए मगर अब उन्होंने दोबारा आतंकवाद का ही रास्ता अपना लिया है। मगर कुछ टीकाकार कहते हैं कि अफ़ग़ान तालेबान की तरफ़ से यह मांग रखी जा रही थी कि अपने लोगों को आप वापस बुलाकर पाकिस्तान में बसाएं और उन्हें हिंसा छोड़कर सामान्य जीवन के लिए मौक़ा दें।

इस समय आतंकवाद की ताज़ा लहर को लेकर टीकाकार कहते हैं कि सरकार को यह तय करना होगा कि वह केवल राजनैतिक लाभ उठाना चाहती है या इस मसले को हल करना चाहती है, अगर राजनैतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश की गई तो हमले भी होंगे और हालात ख़राब होंगे लेकिन अगर आतंकवाद का मुक़ाबला करना है तो सरकार को स्टिक एंड कैरेट की नीति पर चलना होगा।