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पूर्व सेना प्रमुख ने मणिपुर दंगों के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराया!

भारत के पूर्व सेना प्रमख जनरल रिटायर्ड एम एम नरवाणे ने कहा कि मणिपुर दंगों में विदेशी हस्तक्षेप की संभावना को ख़ारिज नहीं किया जा सकता, यह तत्व निश्चित रूप से मौजूद है, कई विद्रोही संगठनों को बरसों से चीन से मदद मिल रही है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार जनरल नरवाणे ने भारत के सामने मौजूद विवादों को हल करने के लिए कूटनीति पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि मैं शुरू से कह रहा हूं कि आंतरिक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, पड़ोसी देश या अगर हमारे किसी सीमावर्ती राज्य में अशांति है तो यह देश की सुरक्षा के लिए बुरी स्थिति है।

उन्होंने मोदी सरकार की गतिविधियों पर संतोष जताते हुए कहा कि मुझे यक़ीन है कि जो लोग सत्ता में हैं वे अपनी ज़िम्मेदारी पूरी तरह अदा कर रहे हैं, हमें उनके बारे में कोई और अनुमान लगाने की कोशिश से बचना चाहिए, मैदान में मौजूद शख़्स बेहतर जानता है कि क्या करना है लेकिन यह तय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के समग्र विचार में अस्थिरता हमारे लिए किसी भी तरह मददगार नहीं है।

जुलाई के शुरू में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने दंगों में विदेशी हस्तक्षेप की बात कही थी मगर स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि दंगों के लिए राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों ज़िम्मेदार हैं।

कूकी समुदाय के लोगों का कहना है कि मैतेई समुदाय जिससे राज्य के मुख्य मंत्री का भी संबंध है सरकारी समर्थन से कूकी समुदाय को पूरी तरह उजाड़ देने की कोशिश कर रहा है।

भारत के सेना प्रमुख ने चीन और पाकिस्तान के साथ कूटनीति के मार्ग अपनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि दो मोर्चों के ख़तरे और दो मोर्चों पर जंग के बीच फ़र्क़ करना ज़रूरी है, हमारे पास जो ख़तरा है वो दो मोर्चों का है लेकिन क्या हम दो मोर्चों पर जंग लड़ना चाहते हैं? नहीं और अगर आप इतिहास पर नज़र डालें तो दो मोर्चों पर जंग लड़ने ला कोई भी नहीं जीत सका है, बेशक पूरा इतिहास खंगाल का देख लीजिए, यही वजह है कि कूटनीति इस बात को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी कि किसी एक मोर्चे को ठंडा रखा जाए।