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पेरिस में कैंडल मार्च निकालना ग़ैर क़ानूनी क़रार दिया गया, ईरान ने कसा तंज़-लेकिन तेहरान में दंगे क़ानूनी!?

पेरिस की पुलिस ने शनिवार को दक्षिणपंथी आंदोलन के पेरिस प्राइड कैंडल मार्च को ग़ैर क़ानूनी बताते हुए इसे देश की शांति व्यवस्था के लिए ख़तरनाक क़रार दिया है।

इसके अलावा, फ़्रांस में रिटायरमेंट के क़ानून में बदलाव की सरकार की योजना के सार्वजनिक होने से पहले येलो जैकेट मूवमेंट ने भी प्रदर्शनों की काल दी है। 2015 में ईंधन की क़ीमतों में वृद्धि के ख़िलाफ़ येलो जैकेट आंदोलन शुरू हुआ था, जिसने बाद में सामाजिक न्याय के आंदोलन का रूप ले लिया। फ़्रांस में खाद्य पदार्थों और ईंधन की क़ीमतों में बेतहाशा वृद्धि, अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों की भीड़ और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कमी के कारण येलो जैकेट की गतिविधियों को फिर से शुरू करने की अपील की जा रही है।

यहां पेरिस में प्रदर्शनों को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बिंदू यह है कि पुलिस इन विरोध प्रदर्शनों को देश की राजधानी की शांति व्यवस्था के लिए ख़तरा बता रही है। हालांकि हाल ही में फ़्रांस समेत पश्चिमी देशों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर ईरान में होने वाले दंगों का समर्थन किया था और पुलिस द्वारा दंगाइयों के ख़िलाफ़ कार्यवाही को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया था।

सिर्फ़ इतना ही नहीं, पश्चिमी देश ईरान में हिंसा और दंगों के जारी रहने पर बल दे रहे हैं, हालांकि इन दंगों ने ईरान की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असल डाला है। इससे एक बार फिर मानवाधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर पश्चिम की दोहरी नीतियों से पर्दा उठ गया है।

दर असल, जब यूरोप या पश्चिमी देशों में लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हैं, तो उनके ख़िलाफ़ पुलिस कार्यवाही को जायज़ ठहराया जाता है और प्रदर्शनों को शांति व्यवस्था के लिए ख़तरा बताया जाता है। लेकिन अगर ईरान जैसे पश्चिम के विरोधी देशों में प्रदर्शनों के नाम पर दंगे और उपद्रव भी होते हैं, तो पश्चिम दंगाइयों और उपद्रवियों के समर्थन में खड़ा हो जाता है और उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया जाता है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि ऐसे देशों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्यवाही भी की जाती है और उनकी अर्थव्यवस्था को और राजनीतिक व्यवस्था को निशाना बनाया जाता है।

नवम्बर 2022 मेरं फ़्रांसीसी संसद ने दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हुए ईरान के ख़िलाफ़ एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें यूरोपीय देशों से मांग की गई थी कि ईरान के ख़िलाफ़ दबाव में वृद्धि की जाए। सर्व सहमति से पारित होने वाले इस प्रस्ताव में ईरानी सुरक्षा बलों द्वारा तथाकथित विरोध को कुचलने और दंगाइयों के ख़िलाफ़ कार्यवाही को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया गया था।

फ़्रांसीसी राष्ट्रपति ने भी इस दौरान कई बार ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाले बयान दिए और ईरान में लोगों को भड़काने का काम किया। यहां तक कि मैक्रां ने परमाणु समझौते के लिए वार्ता को फिर से शुरू करने का विरोध किया, क्योंकि उनका मानना था कि परमाणु वार्ता शुरू होने से ईरान में दंगाइयों का मनोबल टूट सकता है।