साहित्य

प्यार की कोई उम्र नहीं होती,,,और फिर दोनों वेनुजुएला चले जायेंगे!

कहा जाता है प्यार की कोई उम्र नहीं होती है। प्यार तो सिर्फ प्यार होता है, जिसमें एक दूसरे की आँखों में तमाम उम्र के लिए खो जाने को जी करता हो, जिसे हर समय अपने दिल के करीब महसूस किया जा सके।

ऐसे प्यार के अलावा भी कुछ प्यार होते है जिनकी कहानियाँ कभी अधूरी नहीं होती। अर्नेस्टो चे गेवारा अर्जेंटीना के निवासी थे। जिन्होंने फिडेल कास्ट्रो के साथ मिलकर क्यूबा की क्रांति की थी । उन्हें 39 साल की उम्र में ही खत्म कर दिया गया। जिसने गुरिल्ला युद्धों मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अमेरिकी साम्राज्यवादी देशो को धूल चटाया। हर रोज उन्हें जंगल जंगल अपनी जान की हिफाजत करना पड़ता था।

उस नौजवान के अंदर कितना प्रेम बचा होगा, यह समझ पाना बेहद कठिन है, लेकिन ऐसे दौर में भी “चे” एक लड़की से बेइंतहा, बेहिसाब प्यार करते थे और लड़की भी उनसे ऐसे ही प्यार करती थी। लड़की का नाम चिनचिना था, जो अर्जेंटीना की रहने वाली थी, कहा जाता है चिनचिना की खूबसूरती पर उस समय बड़े बड़े अमीर लोग मरते थे, लेकिन उसको प्यार चे ग्वेरा से ही हुआ।

चिनचिना बेहद अमीर घर की लड़की थी और चे ग्वेरा मध्यम परिवार से, चे विचारों के धनी थे और वे कई बार उल्टे सीधे कपडे पहनकर चिनचिना के यहाँ पार्टी मे चले जाते, लेकिन चिनचिना चाहती कि बाकी लोगों की तरह उनकी सामान्य जिंदगी हो, जिसकी शाम घर लौट आने के बाद पति से प्यार भरी बातें और परिवार की बातों वाली हो।

ये चीजें भी सही है लेकिन जब देश की साम्राज्यवादी व्यवस्था में जीना मुहाल हो तो ऐसे कल्पना करना शायद चे को पसंद न था। हालांकि चे ग्वेरा पढ़ाई से डॉक्टर थे और गुरिल्ला युद्धों में जंगलो के निवास में बहुत सारी किताबें भी पढ़ी थी उन्होंने। बाद में क्यूबाई क्रांति के सफल होने के बाद उन्हें क्यूबा में उद्योग मंत्री का पद भी मिला, साथ ही राष्ट्रीय बैंक के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। यानि एक तरह से कह सकते है कि सब चीज मिली जिसकी आवश्यकता इंसान को होती है, लेकिन फिर भी इस क्रांतिकारी का मन नहीं लगा क्योकि वो दूसरे देशो के लोगों को क्रांति के लिए तैयार करने चले गए, उन्होंने अपने देश क्यूबा को भी छोड़ दिया।

ऐसी प्रकृति के प्रेमी से चिनचिना को प्रेम था, ये कह सकते है की दो अलग अलग ध्रुवो का मिलन था। जिसमें एक तरफ चिनचिना और दूसरी तरफ चे ग्वेरा था। चिनचिना चाहती कि वे एक स्थायी जीवन जिये, जैसे सारे लोग जीते है। और वहीं चे चाहते थे कि जंगलो मे निर्वासित होकर आजादी की लड़ाई लड़े..

अंत में चे ने प्रस्ताव रखा कि पिता की सम्पति छोड़ कर उनके साथ चली आए और फिर दोनों वेनुजुएला चले जायेंगे, जँहा चे के एक दोस्त के साथ कोढ़ियो की बस्ती मे रहेंगे और उनकी सेवा करेंगे, गुरिल्ला को ही परिवार मानेंगे और जंगलो मे रहेंगे?

लेकिन चिनचिना दर्शनशास्त्र मे नहीं जीती थी, और वो अपनी शर्तो पर अडिग रही.. और अंत मे दोनों एक दूसरे से अलग हो गए, ये प्यार की कहानी एक दूसरे के दिलों मे हमेशा के लिए दबी रह गयी।

ऐसे प्रेम को ये मत समझिए कि ये अधूरी कहानियाँ है, क्योंकि अधूरी जैसी चीज इस दुनिया में है ही नहीं, चे और चिनचिना का सफऱ उतना ही था और ये बेहद शानदार सफऱ था, जिसमें चे ने अपने विचारों, लक्ष्यों, को पाने के लिए अपने निजी जीवन के हर इच्छा की क़ीमत चुकाने के लिए तैयार रहे और चुकाए भी..

यकीन मानिये भले ही प्रेम अपने आप मे क्रांति नहीं है लेकिन क्रांति की एक शक्ति है जैसा मार्क्स और जेंनी के सन्दर्भ में भी देख सकते है। बहुत सारे ऐसे इतिहास में चीजें है जिनमें आप देखेंगे कि प्रेम और इंक़लाब साथ साथ चले है। और प्रेम कहानियाँ सभी की होती है, चाहे वो गरीब हो या अमीर, नायक की भी, खलनायक की भी, और जब तक सृष्टि है प्रेम की कहानियाँ अमर रहेंगी !

पोस्ट साभार : Ateeq Kidwai