दुनिया

प्रदर्शनकारी नेतनयाहू का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं, पेशी के वक़्त प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट के बाहर नेतनयाहू के विरोध में नारे लगाये!

प्रदर्शनकारी अवैध ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री का पीछा छोड़ने को तैयार दिखाई नहीं दे रहे हैं।

तेल अवीव में जिला न्यायालय में नेतनयाहू की पेशी के समय प्रदर्शनकारियों ने न्यायालय के बाहर जमकर नेतनयाहू का विरोध किया। यह प्रदर्शनकारी, नेतनयाहू के विरोध में नारे लगा रहे थे।

शनिवार की रात से हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने फिर से नेतनयाहू के विरुद्ध प्रदर्शन आरंभ कर दिये हैं जो पिछले 16 सप्ताहों से जारी हैंं। हआरेत्स समाचारपत्र के अनुसार रविवार की सुबह नेतनयाहू, तेलअवीव के जिला न्यायालय में उपस्थित हुए थे।

प्रदर्शनकारी, नेतनयाहू के न्यायिक सुधार कार्यक्रम का खुलकर विरोध कर रहे हैं। हालांकि लोगों के दबाव और अमरीकी आदेश के कारण नेतनयाहू ने इस योजना को अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया है।

नेतनयाहू और उनके परिवार के विरुद्ध भ्रष्टाचार के कई केस हैं। ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री पर भ्रश्टाचार, राश्वत लेने और कई अन्य प्रकार के आरोप लगते रहे हैं। इन केसों को लेकर नेतनयाह का विरोध पहले भी होता रहा है किंतु हालिया कुछ सप्ताहों के दौरान यह बहुत व्यापक हो चुका है। अधिकतर प्रदर्शनकारी, नेनतयाहू के त्यागपत्र की मांग कर रहे हैं।

इस्राईल के लिए कठिन हुए हालात, समाचार पत्र ने किया ख़बरदार

एक हिब्रू भाषी सूत्र ने भविष्य के संभावित युद्धों में ज़ायोनी शासन की कठिन स्थिति के बारे में चेतावनी दी।

मेहर न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हिब्रू अखबार येदीयेत अहारनोत ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि ज़ायोनी शासन एक नए सुरक्षा और सीमित संघर्षों के चरण में दाख़िल हो गया है।

इस अख़बार के मुताबिक इस नए सुरक्षा चरण में कई मोर्चों पर युद्ध की संभावना शामिल है और इसका मतलब यह है कि ज़ायोनी समुदाय को पता होना चाहिए कि भविष्य का युद्ध पिछले युद्धों से बिल्कुल अलग होगा।

ज़ायोनी शासन के युद्ध मंत्री यूआफ़ गैलेंट ने हाल ही में एक बैठक में कहा था कि वास्तविक सुरक्षा चुनौतियां एक ही समय में सभी क्षेत्रों में इस्राईल के लिए ख़तरा हैं इसलिए सेना को सभी दिशाओं में एक साथ विस्तार के मोर्चे को खोलने के लिए ख़ुद को तैयार करना चाहिए।

सेना के सैन्य ख़ुफ़िया संगठन के पूर्व प्रमुख का बयान ऐसी हालत में है कि जब दो हफ़्ते पहले रॉकेट हमलों के दौरान फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं ने मस्जिदुल अक़सा में इबादत करने वालों के ख़िलाफ़ ज़ायोनी सैनिकों की हिंसा के जवाब में सीरिया, दक्षिणी लेबनान और ग़ज़्ज़ा पट्टी सहित कई क्षेत्रों में इस्राईल के हितों पर एक साथ हमला किया था।