आजादी के इतने वर्षों के बाद भी देश में ऊंच-नीच और छूआछूत जैसी समाजिक बुराइयां मौजूद हैं। हालांकि, इसे खत्म करने की दिशा में सरकार और प्रशासन ने कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन फिर भी ऐसे मामले देखने को मिल जाते हैं। तमिलनाडु के एक गांव में प्रशासन के दखल के बाद पहली बार दलित समाज के लोगों ने सोमवार को गांव के मंदिर में प्रार्थना की।
बताया गया है कि कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच, जिला के आला अधिकारियों की मौजूदगी में अनुसूचित जाति के ग्रामीणों ने मंदिर परिसर में पूजा की और फूल-माला व प्रसाद देवता को चढ़ाया। इस दौरान उन्होंने मंत्रोच्चारण के साथ देवता की जय-जयकार की।
मामला उत्तरी तिरुवन्नामलाई जिले में थंड्रमपट्टू तालुक के थेनमुडियानूर गांव का है, जहां मुथुमरियाम्मन नाम का देवी शक्ति मंदिर है। हालांकि, अधिकारियों ने इस बात का उल्लेख नहीं किया है कि यह पहली बार है, जबकि दलित समाज के लोगों ने गांव के मंदिर में प्रवेश किया है। दलित समाज के लोगों का कहना है कि वे पहली बार मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर 80 साल पुराना है, जबकि अधिकारियों ने कहा कि यह 70 साल पुराना है।

Brijesh Yadav
@Brijesh19060498
कौन से मंदिर में दलित और महिला नहीं जा सकते ?
वैष्णो देवी या कोई शक्ति पीठ
मथुरा या द्वारिका
तिरुपति बालाजी
मीनाक्षी मंदिर
मनसा देवी, चांडी देवी
कोई ज्योतिर्लिंग
राजस्थान के बाला जी
अक्षरधाम दिल्ली
सोमनाथ महादेव मंदिर गुजरात