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प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में 180 देशों में भारत 161वें पायदान पर, पत्रकारों के लिए स्थिति ‘बहुत गंभीर’ है : रिपोर्ट

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 21वां संस्करण जारी किया जिसमें भारत की स्थिति बहुत ही ख़राब दिखाई गयी है।

रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में 180 देशों में भारत 161वें पायदान पर रहा। बीते वर्ष की तुलना में भारत की रैंक 11 स्थान नीचे गिरी है। वर्ष 2022 में भारत 150वें पायदान पर रहा था। इस प्रकार भारत उन 31 देशों में शामिल है, जहां आरएसएफ का मानना है कि पत्रकारों के लिए स्थिति ‘बहुत गंभीर’ है।

भारत को इस तरह वर्गीकृत क्यों किया गया है, इस बारे में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में आरएसएफ ने कहा है कि पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया और मीडिया स्वामित्व का केंद्रीकरण सभी दिखाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नेता और हिंदु राष्ट्रवाद के अवतार नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 से शासित ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र’ में प्रेस की स्वतंत्रता संकट में है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में पांच बिंदु शामिल होते हैं, जिनमें अंकों की गणना की जाती है और फिर देशों को रैंक दी जाती है। ये पांच – राजनीतिक संकेतक, आर्थिक संकेतक, विधायी संकेतक, सामाजिक संकेतक और सुरक्षा संकेतक हैं।

भारत के लिए सबसे चिंताजनक गिरावट सुरक्षा संकेतक श्रेणी में है जहां भारत की रैंक 172 है, इसका मतलब है कि इस पैरामीटर पर 180 में से केवल आठ देशों की रैंक भारत से ख़राब है, इसलिए भारत पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में चीन, मेक्सिको, पाकिस्तान, सीरिया, यमन, यूक्रेन और म्यांमार के अलावा दुनिया में सबसे ख़राब है।

पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में भी भारत खराब प्रदर्शन कर रहा है। आरएसएफ ने कहा है कि हर साल औसतन तीन या चार पत्रकार अपने काम के सिलसिले में जान गंवा देते हैं। भारत, मीडिया के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है।

रिपोर्ट विशेष तौर पर ऑनलाइन किए जाने वाले महिला पत्रकारों को निशाना बनाकर किए जाने वाले उत्पीड़न और कश्मीर में प्रेस के साथ पुलिस के हस्तक्षेप के बारे में बात करती है।