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फर्जी एनकाउंटर के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में बढ़ी योगी सरकार की मुश्किलें-भेजा नोटिस,माँगा जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से प्रदेश में हुए एनकाउंटर पर जवाब मांगा है. दरअसल, यूपी पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की योगी सरकार से यह मांग की है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एनएचआरसी को नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की एक खंडपीठ ने पीयूसीएल द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को नोटिस जारी किया है।

बता दें कि मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पीयूसीएल (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी) ने उत्तर प्रदेश में 500 एनकाउंटर और 58 लोगों की मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में पीयूसीएल ने सीबीआई और एसआईटी की स्वतंत्र टीम से यूपी में हुए एनकाउंटर की जांच कराने की मांग की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से जवाब मांगा है।

पीयूसीएल ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी पक्षकार बनाने का अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. मालूम हो कि आयोग ने भी इस मुद्दे पर पहले राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था.

फरवरी में मानवाधिकार संगठन ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर कहा था कि प्रशासन पुलिस को अपने अधिकारों का दुरूपयोग करने दे रहा है।

फरवरी महीने में नोटिस देने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा था कि भय का माहौल बनाना जुर्म से निपटने का सही रास्ता नहीं है।

गौर हो कि उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों के खिलाफ शुरू किया गया ऑपरेशन ऑलाउट बदस्तूर जारी है. यूपी पुलिस ने अब तक करीब 58 अपराधियों को मार गिराया है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले 1 साल में 1350 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं. यानी हर महीने 100 से भी ज़्यादा एनकाउंटर. इस दौरान 3091 वॉन्टेड अपराधी गिरफ्तार किए गए. जबकि 43 अपराधियों को मार गिराया गया. यूपी पुलिस का दावा है कि मरने वाले बदमाशों में 50 फीसदी इनामी अपराधी थे. जिन्हें पुलिस शिद्दत से तलाश रही थी.

यूपी पुलिस के इन आंकड़ों ने अपराधियों में इस कदर खौफ भर दिया कि पुलिस एक्शन के डर से पिछले 11 महीने में करीब 5409 अपराधियों ने बाकायदा अदालत से अपनी जमानत ही रद्द कराई है. ताकि ना वो बाहर आएं और ना गोली खाएं