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फ़क़ीर ने 4 साल में जो वर्ल्ड टूर जो किया है उसमें कुल लागत आई है 355 करोड़, 52 देश घूमें है और कुल 165 दिन विदेशी धरती पर बिताए!

prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
एक आरटीआई से पता चला है कि अपने फ़कीर आदमी ने वर्ल्ड टूर जो किया है 4 साल उसमें कुल लागत आई है 355 करोड़,जिसमें 52 देश घूमें है और कुल 165 दिन विदेशी धरती पर बिताए हैं, 9 दिन का जो फ्रांस जर्मनी कैनेडा का टूर था वो सबसे खर्चीला था करीब 31 करोड़ का, एक आरटीआई डोमेस्टिक यानी कि स्वदेश में तफरी की जब माँगी गई तो उसे रिजेक्ट कर दिया गया

मान के चलिए उसमें भी करोड़ो स्वाहा हुए होंगे

 

बेसन आता है मेरा ख्याल 50 रुपिया किलो, प्याज़ आती है 30-40 रुपिया किलो और नमक, मिर्च, लस्सन, अदरक, मिला के पकौड़ा करीब 10 रुपिया का पड़ता लेकिन इस विज़न वाले महापुरुष ने 52 देशों से संबंध बना के भुखमरी इंडेक्स मिटाने बेरोजगारी मिटाने 355 करोड़ का पकौड़ा दिया आपको और हमें

यह वजह भी जयकारे के लिए कम हो तो 2 साल बाद सर्जीकल स्ट्राइक का वीडियो भी जारी कर दिया है जिसमें सीमा पर खड़े थे जो जवान नोटबंदी के टाइम वे, सीमा के पल्ली तरफ जा कर सर्जीकल कर रहे हैं, सैनिको की वीरता पर किसका सीना जॉन सीना नही होगा लेकिन विज़न पुरुष ने ठीक 2019 से पहले यह कार्यवाही भी भुना ली है

इनके चम्मच कड़छी कटोरिया न्यूज़ चैनल वाह वाही दिलवा रही हैं लूप में वीडियो दिखा कर

रुपिये की कीमत आडवाणी हो चुकी है डॉलर के आगे, काला धन खत्म हो गया उसकी जगह नारंगी भगवा धन आ गया है एकदम खालिस राष्ट्रवादी, नोट में गाँधी को एकटक देखो तो वो भी कह देते हैं बस कर पगले रुलाएगा क्या! माओवादियों की कमर टूट चुकी नोटबंदी से तो वे अब कमर पर गोला बारूद नही बांध रहे हाथ में लेके घूम रहे हैं, इतना तो मानना पड़ेगा!!

बाकी महंगाई तो डायन थी, और अब तो योगी, बाबा, पुरोहित,साधु लोगो की सरकार है तो डायन कहाँ टिकती तो वो चली गई डर कर फिर लौटेगी कांग्रेस काल में

रही बात बेटी बचाओ की तो हाँ एक और उपलब्धि यह रही कि बेटी की चीख ‘बचाओ’ सुन ली विदेशियों ने तो बता दिया दुनिया में भारत प्रथम स्थान पर है जहाँ महिलाएं सुरक्षित नही.. तो एक और मोर पंख माननीय की मास्टरस्ट्रोक से सजी हैट में

तो अंत में यही अपील थी कि 2019 में फिर जितवा दीजिये तो बाकी बचे देश भी घूम ले गरीब और जो बचे कुचे मास्टरस्ट्रोक हैं, वो इस देश को दे जाएं

– Aseem Tiwari

डिस्क्लेमर : लेखक के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है