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फ़िलिस्तीनियों की समस्याएं ख़त्म होने वाली हैं : बश्शार असद से मिलने के लिए बेचैन हैं तैयब अर्दोग़ान : रिपोर्ट

फ़िलिस्तीनी विदेशमंत्री का अहम बयान, फ़िलिस्तीनियों की समस्याएं ख़त्म होने वाली हैं

फ़िलिस्तीन के विदेशमंत्री ने कहा है कि फ़िलिस्तीनी जनता की समस्याओं और परेशानियों के दिन अब ख़त्म होने वाले हैं।

फ़िलिस्तीन के विदेशमंत्री रियाज़ मालेकी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में अपने भाषण में फ़िलिस्तीन की धरती पर अतिग्रहण के आरंभ या नकबा डे की ओर इशारा करते हुए कहा कि 70 साल से अधिक का समय गुज़र जाने के बाद आज भी फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों से ज़ोरज़बरदस्ती निकालने और फ़िलिस्तीनियों की ज़मीनों को हड़प करने का क्रम जारी है।

फ़िलिस्तीन के विदेशमंत्री ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि अगर संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र पर प्रतिबंद्धता की जाती और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों पर अमल किया जाता तो फ़िलिस्तीन में शांति काफ़ी पहले स्थापित हो चुकी होती और नस्लभेद का सफ़ाया हो चुका होता, कहा कि फ़िलिस्तीनियों की समस्याओं और परेशानियों के ख़त्म होने का समय आ चुका है।

असद से मिलने के लिए क्यों बेचैन हैं अर्दोग़ान?

तुर्की की यह कोशिश है कि किसी तरह से अर्दोग़ान और असद की मुलाक़ात हो जाए।

तुर्की के विदेशमंत्री ने इस देश के राष्ट्रपति और सीरिया के राष्ट्रपतियों के बीच भेंटवार्ता को आवश्यक बताया है।

चावूश ओग़लू का कहना है कि रजब तैयब अर्दोग़ान और बश्शार असद की मुलाक़ात के लिए आवश्यक कार्यवाहियां की जानी चाहिए। चावूश ओग़लू के अनुसार दोनो राष्ट्रपतियों के बीच भेंटवार्ता, तुर्की के राष्ट्रपति चुनाव के निकट संभव है।

हालांकि तुर्की के विदेशमंत्री सहित वहां के अधिकारी सीरिया के राष्ट्रपति के साथ इस देश के राष्ट्रपति की मुलाक़ात के बारे में बयान दे रहे हैं किंतु दमिश्क़ की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि सीरिया की धरती से तुर्की के सैनिकों की पूरी तरह से वापसी, अर्दोग़ान और असद की मुलाक़ात की पूर्व शर्त है।

सीरिया के अधिकारियों के अनुसार जबतक यह शर्त पूरी नहीं हो जाती उस समय तक बश्शार असद के साथ रजब तैयब अर्दोग़ान की भेंटवार्ता नहीं हो पाएगी।

तुर्की इस बात के प्रयास में है कि जैसे भी हो सके सीरिया के राष्ट्रपति असद के साथ अर्दोग़ान की मुलाक़ात करा दी जाए। वैसे माॅस्को की मेज़बानी में तुर्की, सीरिया और ईरान के रक्षामंत्रियों की बैठक कल आयोजित होने जा रही है। अभी हाल ही में माॅस्को/ ईरान, तुर्की, सीरिया और रूस के विदेश उपमंत्रियों की बैठक की मेज़बानी कर चुका है।

ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करने का सवाल ही नहीं उठताः फ़ोआद हुसैन

इराक़ के विदेशमंत्री कहते हैं कि बग़दाद और तेलअवीव के बीच संबन्धों की स्थापना संभव नहीं है।

फ़ोआद हुसैन ने अपने एक साक्षात्कार में कहा है कि इराक़ की वर्तमान परिस्थितियां, ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करने की अनुमति नहीं देतीं।

अलअहद टीवी चैनेल के साथ बात करते हुए सोमवार को इराक़ के विदेशमंत्री ने बताया कि इस्राईल के साथ संबन्ध सामान्य बनाने की बातें, मीडिया की देन है। इराक़ की संसद, पिछले साल एक प्रस्ताव पारित करके ज़ायोनी शासन के साथ संबन्धों को जुर्म सिद्ध कर चुकी है।

अपने साक्षात्कार के अन्य भाग में इराक़ के विदेशमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार अफ्रीक़ा में तेल की मंडी स्थापित करने के प्रयास कर रही है। उन्होंने उत्तरी इराक़ में तुर्की के हमलों को सैन्य हस्तक्षेप की संज्ञा दी। उनका कहना था कि सशस्त्र संघर्ष से तुर्की कभी कोई परिणाम हासिल नहीं कर पाएगा।

इससे पहले इराक़ की हश्दुश्शाबी पापुलर फ़ोर्स में शामिल एक संगठन, “असायब अहलुलहक़” के प्रमुख ने तुर्की के हमलों की निंदा करते हुए कहा था कि इराक़ी प्रतिरोध मोर्चा अब तुर्की के इन हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि तुर्की को हम सबक़ सिखाएंगे।

उन्होंने ट्वीट करके कहा था कि अब समय आ गया है कि इराक़ी प्रतिरोध फ़ोर्स, तुर्की को भी उसी तरह सबक़ सिखाए जिस तरह से उसने अमरीकी अतिग्रहणकारियों को सबक़ सिखाया।

रमज़ान के बाद इस्राईल को किन चुनौतियों का सामना है?

इस्राईल में सैन्य और सुरक्षा गलियारों का मानना है कि हाल ही में ज़ायोनी सेना और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधियों के बीच होने वाली झड़पों के कारण, पवित्र रमज़ान का महीना ख़त्म होने के बाद ज़ायोनी शासन के सामने एक कठिन चरण है और उसे मल्टी फ़्रंट पर लड़े जाने वाले किसी भी संभावित युद्ध को टालने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

रमज़ान के महीने में ज़ायोनी सैनिकों ने मस्जिदुल अक़सा में घुसकर फ़िलिस्तीनियों के साथ मारपीट की थी और सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया था।

मुसलमानों के तीसरे सबसे पवित्र धार्मिक स्थल के इस अनादर के बाद, इस्लामी प्रतिरोधी गुटों में रोष था, जिसके जवाब में ग़ज्ज़ा पट्टी और लेबनान से अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में रॉकेट दाग़े गए थे।

इस्राईल के टीवी चैनल 12 ने लेबनान से दाग़े जाने वाले रॉकेटों का उल्लेख करते हुए कहा हैः अब रमज़ान के बाद इस्राईल को एक ख़तरनाक और जटिल स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि रमज़ान के बाद, रणनीतिक रूप से हमास मल्टी फ़्रंट पर ख़ुद को बहुत ज़्यादा मज़बूत करेगा, जिससे इलाक़े में खेल पलट भी सकता है।

हालिया दिनों में हमें इस्राईल की रक्षात्मक शक्ति के बारे में काफ़ी चर्चा सुनने को मिली है। हालांकि इससे पहले तक इस्राईल की रक्षात्मक और आक्रामक शक्ति को अभेद समझा जाता था, लेकिन 2006 में हिज़्बुल्लाह और ज़ायोनी शासन के बीच 33 दिवसीय युद्ध के बाद, इलाक़े में शक्ति का संतुलन काफ़ी हद तक बदल गया और इस्राईल की अभेद समझे जाने वाली रक्षात्मक शक्ति की पोल खुल गई।

2021 में हमास के साथ टकराव में भी इस्राईली सैन्य शक्ति की कई कमज़ोरियां खुलकर सामने आईं और अब हालत यह है कि इस्राईल, ग़ज्ज़ा स्थित फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी गुटों से टकराने से पहले भी कई बार सोचता है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमने किसी भी टकराव में देखा है कि पलक झपकते ही विभिन्न दिशाओं से सैकड़ों रॉकेट अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी इलाक़ों का रुख़ करते हैं, जिसका मुक़ाबला करना ज़ायोनी सेना के बस की बात नज़र नहीं आती है।

ज़ायोनी शासन को एक दूसरी सबसे बड़ी चिंता, लेबनान और फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधी मोर्चों के बीच समन्वय की है, जो दिन प्रति दिन मज़बूत होता जा रहा है। इस्राईली अधिकारियों का मानना है कि अब झड़पों और लड़ाईयों के समीकरण बदल चुके हैं और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध को अन्य इस्लामी प्रतिरोधी मोर्चों से अलग करके रखना, लगभग असंभव हो चुका है।