दुनिया

फ़िलिस्तीन के हालात काफ़ी तनावग्रस्त हो गये हैं, नेतनयाहू के इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

श्रोताओ जैसाकि आपको ज्ञात है कि आजकल फिलिस्तीन के हालात काफी तनावग्रस्त हो गये हैं और उसकी मुख्य वजह जायोनियों द्वारा मस्जिदुल अक्सा का अनादर और फिलिस्तीनी नमाज़ियों का मारा पीटा जाना है जिससे स्थिति काफी विस्फोटक हो गयी है।

हालात को भांपते हुए जायोनी शासन के अतिवादी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतेनयाहू ने यहूदियों को रमज़ान महीने के अंत तक मस्जिदुल अक्सा में प्रवेश न करने का आदेश दिया है। उन्होंने एलान किया है कि इस्राईल के सुरक्षा अधिकारियों व जिम्मेदारों की सिफारिश के अनुसार इस बात की घोषणा की जा रही है कि यहूदियों को रमज़ान महीने के अंत तक मस्जिदुल अक्सा में दाखिल होने की अनुमति नहीं है।

प्रतीत यह हो रहा है कि जायोनी शासन ने जो यह फैसला लिया है कि इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला कारण यह है कि आजकल यहूदी और कालोनियों में रहने वाले जायोनी पासोवर ईद के उपलक्ष्य में प्रतिदिन छोटे -छोटे गुटों में मस्जिदुल अक्सा को देखने के लिए जा रहे थे और यह चीज़ मस्जिदुल अक्सा में फिलिस्तीनियों और जायोनियों के मध्य लड़ाई का कारण बन सकती थी।

इसी परिप्रेक्ष्य में फिलिस्तीन में इस्लामी वक्फ कार्यालय ने एलान किया है कि कालोनियों में रहने वाले डेढ़ हज़ार से अधिक जायोनियों ने मस्जिदुल अक्सा पर हमला किया और यह जायोनी 23 गुटों में थे। इसी प्रकार जायोनियों के बड़े गुटों ने सुबह सात बजे से 11 बजे तक और दोपहर के 30 मिनट के बाद लगातार मस्जिदुल अक्सा पर हमला किया। जायोनियों ने आरंभ में मस्जिदु अक्सा में घुमना शुरू किया और उसके बाद उसका अनादर किया और इस बीच एक चरमपंथी यहूदी धर्म गुरू भी उनके मध्य मौजूद था।

नेतनयाहू ने पवित्र रमज़ान महीने के अंत तक मस्जिदुल अक्सा में यहूदियों के प्रवेश न करने का जो आदेश दिया है उसका दूसरा कारण यह हो सकता है कि फिलिस्तीनियों ने दूसरे फिलिस्तीनियों का आह्वान किया है कि वे रमज़ान के अंतिम 10 दिनों में मस्जिदुल अक्सा में आ जायें।

फिलिस्तीनियों के इस आह्वान से नेतनयाहू इस बात से डर गये कि फिलिस्तीनियों और जायोनियों के मध्य अवश्य लड़ाई हो जायेगी और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जायेगी विशेषकर इसलिए कि अवैध अधिकृत फिलिस्तीन के अंदर बहुत अधिक संख्या में यहूदी और जायोनी नेतनयाहू और उनके अतिवादी मंत्रिमंडल से पहले से ही बहुत नाराज़ हैं।

रोचक बात यह है कि इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा के मंत्री इत्मार बिन गोविर ने नेतनयाहू के फैसले को खुली गलती करार दिया है। हिब्रू भाषा के संचार माध्यमों ने इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री के हवाले से बताया है कि नेतनयाहू ने जायोनी विरोधी लहर को रोकने के लिए यह फैसला लिया है और यह बहुत बड़ी गलती है और यह फैसला तेलअवीव को सुरक्षा उपहार में प्रदान नहीं करेगा। उन्होंने जायोनी प्रधानमंत्री के फैसले को उन्हीं के शब्दों में आतंकवाद के सामने आत्मसमर्पण बताया है।

इसी प्रकार एक अन्य जायोनी गुट ने नेतनयाहू के फैसले को एक पराजय का नाम दिया और उसकी भर्त्सना की है। इस अतिवादी जायोनी गुट ने कहा है कि हमें इस बात से निराशा हुई है कि चुनकर आने वाले जिम्मेदारों के दावे खोखले थे।

जानकार हल्कों का मानना है कि जहां इस्लामी देशों में एकता बढ़ रही है और उनके मध्य संबंध सामान्य हो रहे हैं वहीं फिलिस्तीनी गुटों के मध्य भी एकता में वृद्धि हो रही है और यह वह चीज़ है जिससे जायोनी शासन के अधिकारी व नेता चिंतित हैं और इस प्रकार के हालात में वे फिलिस्तीनियों से विवाद मोल नहीं लेना चाहते हैं क्योंकि उन्हें इस बात की आशंका है कि यह विवाद कहीं व्यापक रूप धारण न कर जाये और अगर यह विवाद व्यापक रूप धारण कर गया तो फिलिस्तीन और फिलिस्तीनियों के प्रति विश्व जनसमर्थन में वृद्धि हो जायेगी और शुक्रवार को विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर जो रैलियां निकाली जाने वाली हैं उनमें लोग और बढ़ चढ़कर भाग लेंगे।