साहित्य

फ़ैशन के नाम पर अंगप्रदर्शन, सभ्य और संस्कारी परिवार क्या कहते हैं ??

Arvind Verma
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फ़ैशन के नाम पर अंगप्रदर्शन, आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता और लिव इन रिलेशनशिप का समर्थन करने वाली अधिकतर 16 वर्ष से 66 वर्ष की लड़कियों ने अपना मत रखा कि “पुरुष भी तो करते हैं, ताली एक हाथ से नहीं बजती है”…हम भी अपनी मर्जी के मालिक हैं, हमें भी आजादी है अपने फैसले लेने की.. इत्यादि… इत्यादि…
तो दोस्तों मेरा उन सभी बच्चियों से कहना है कि…


बिल्कुल सही कह रही हो आप कि नारी को भी आजादी चाहिए किंतु आप भूल रही हो कि आप जिन (स्टार्स और सेलिब्रिटी ) लोगो का उदाहरण देते हुए अंगप्रदर्शन, लिव इन रिलेशनशिप और कई लड़कों से संबंध का और आसामाजिक कृत्य का समर्थन कर रही है…
तो क्या आप नहीं जानती कि ऐसे आचरण वालों को सभ्य और संस्कारी परिवार क्या कहते हैं ??
और क्या आप जानती हैं कि लिव इन रिलेशनशिप को क्या कहते हैं??
बेटा नारी को उसके मर्यादित और संस्कारी गुणों के कारण ही देवी तुल्य माना जाता है।
स्त्री के पतिव्रत के कारण ही उसे देवी तुल्य माना जाता है।।
आप “लिव इन रिलेशनशिप” कहो या “रखैल रखनी” बात एक ही है
और जिसे आज की पीढ़ी आइटम डांस समझती है….उसे ही रंडीनाच कहते हैं।


दरअसल
मार्डन, स्टैंडर्ड, और आधुनिकता के नशे में फैशन के नाम पर अंग प्रदर्शन करने लगे हैं लोग और हमें एहसास तक ना हो रहा है।
सोचना बेटा….
जानती ही होगी बेटा कि कितनी लडकियां कट गई, ब्रीफकेस में मिली, उन सबका कहना था कि “मेरा वाला ऐसा नही है ”
मां-बाप बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उन्हें छूट देते हैं और बच्चे उसका नाजायज फायदा उठाते हैं और हादसों का शिकार होते हैं….
और पीछे छोड़ जाते हैं अपने-अपने मां बाप को जीवनभर घुट घुट कर जीने के लिए।
बेटा मुझे यकीन है कि आप अपने टीचर्स की रिस्पेक्ट करती होगी और आपको अपने देश से भी प्यार होगा और उतनी ही रिस्पेक्ट आप देश के फौजी की भी करती होंगी…


तो एक फौजी,
पिता और गुरू की हैसियत से इस देश की हर बेटी को समझाना चाहता है कि
हे नारी
तुम देवी तुल्य हो…जगत जननी हो…सर्व शक्तिशाली हो…
तुम अपनी रक्षा करने मे भी सक्षम हो और संहार करने में भी….
रानी लक्ष्मीबाई बनो…ज़ोहराबाई नहीं
जय हिंद🇮🇳 Arvind Verma✍️ #हर_बेटी_मेरी


Arvind Verma
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गाँव में तो डिप्रेशन को भी डिप्रेशन हो जायेगा।
उम्र 25 से कम है और सुबह दौड़ने निकल जाओ तो गाँव वाले कहना शुरू कर देंगे कि “लग रहा सिपाही की तैयारी कर रहा है ” फ़र्क़ नही पड़ता आपके पास गूगल में जॉब है।
30 से ऊपर है और थोड़ा तेजी से टहलना शुरू कर दिये तो गाँव में हल्ला हो जायेगा कि “लग रहा इनको शुगर हो गया “
कम उम्र में ठीक ठाक पैसा कमाना शुरू कर दिये तो आधा गाँव ये मान लेगा कि आप कुछ दो नंबर का काम कर रहे है।
जल्दी शादी कर लिये तो “बाहर कुछ इंटरकास्ट चक्कर चल रहा होगा इसलिये बाप जल्दी कर दिये “
शादी में देर हुईं तो “दहेज़ का चक्कर बाबू भैया, दहेज़ का चक्कर, औकात से ज्यादा मांग रहे है लोग “


बिना दहेज़ का कर लिये तो “लड़का पहले से सेट था, इज़्ज़त बचाने के चक्कर में अरेंज में कन्वर्ट कर दिये लोग”
खेत के तरफ झाँकने नही जाते तो “बाप का पैसा है “
खेत गये तो “नवाबी रंग उतरने लगा है “
बाहर से मोटे होकर आये तो गाँव का कोई खलिहर ओपिनियन रखेगा “लग रहा बियर पीना सीख गया “
दुबले होकर आये तो “लग रहा सुट्टा चल रहा “
कुलमिलाकर गाँव के माहौल में बहुत मनोरंजन है इसलिये वहाँ से निकले लड़के की चमड़ी इतनी मोटी हो जाती है कि आप उसके रूम के बाहर खडे होकर गरियाइये वो या तो कान में इयरफोन ठूंस कर सो जायेगा या फिर उठकर आपको लतिया देगा लेकिन डिप्रेशन में न जायेगा।
और ज़ब गाँव से निकला लड़का बहुत उदास दिखे तो समझना कोई बड़ी त्रासदी है।


Gopal Ji Chaturvedi Patrakar
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राम मन्दिर निर्माण को लेकर बड़ा अपडेट, श्रद्धालु कब कर सकेंगे मन्दिर में प्रवेश?
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा द्वारा बताया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण इस साल 30 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके मिश्रा ने कहा कि मंदिर का निर्माण तीन चरणों में हो रहा है और श्रद्धालु पहले चरण का काम पूरा होने के बाद मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भूतल पर अन्य कार्यों के अलावा पहले चरण में पांच मंडप का निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि राम मंदिर के पहले चरण का काम 30 दिसंबर तक पूरा हो जाना चाहिए। पांच मंडपों के निर्माण में करीब 160 खंभे लगे हैं।


Khan Sir Ka Gyan
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#प्रेम_का_स्मारक
चित्र में दिखाई गई महिला की फोटो को ज़ूम करके देखेंगे तो उनके गले में पहना हुआ एक बड़ा डायमंड दिखाई देगा…..यह 254 कैरेट का जुबली डायमंड है जो आकार और वजन में विश्व विख्यात “कोह-ए-नूर” हीरे से दोगुना है…ये महिला मेहरबाई टाटा हैं जो जमशेदजी टाटा की बहू और उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थी…!
सन 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण जब मंदी का माहौल था और टाटा कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं थे… तब मेहरबाई ने अपना यह बेशकीमती जुबली डायमंड *इम्पीरियल बैंक में 1 करोड़ रुपयों में गिरवी* रख दिया था ताकि कर्मचारियों को लगातार वेतन मिलता रहे और कंपनी चलती रहे…!
इनकी ब्लड कैंसर से असमय मृत्यु होने के बाद सर दोराबजी टाटा ने भारत के कैंसर रोगियों के बेहतर इलाज के लिये यह हीरा बैंक को बेचकर ही टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी…!
प्रेम के लिये बनाया गया यह स्मारक मानवता के लिये एक उपहार है …. विडम्बना देखिये हम प्रेम स्मारक के रुप मे ताजमहल को महिमामंडित करते रहते हैं और जो हमें जीवन प्रदान करता है, उसके इतिहास के बारे में जानते तक नहीं….!!