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बकरा ईद की छुट्टी का सरकार ने किया ऐलान-जानिए 22 अगस्त को होगी या 23 अगस्त बकरा ईद ?

नई दिल्लीः देश भर में ईद–उल-जुहा का त्योहार 23 अगस्त को मनाया जाएगा और इसके लिए बकरीद की छुट्टी का एलान किया गया है. बकरीद की छुट्टी 23 अगस्त को होगी जो पहले 22 अगस्त को थी. कार्मिक, लोक शिकायतें और पेंशन मंत्रालय ने ईद-उल-जुहा (बकरीद) की छुट्टी में बदलाव का एलान किया है. इसके तहत दिल्ली में स्थित सभी सरकारी प्रशासनिक दफ्तर 23 अगस्त को बंद रहेंगे।

दिल्ली और नई दिल्ली में स्थित केन्द्र सरकार के सभी प्रशासनिक कार्यालय ईद-उल-जुहा (बकरीद) पर अवकाश के उपलक्ष्य में 22 अगस्त के स्थान पर 23 अगस्त 2018 को बंद रहेंगे।

दरअसल पहले बकरीद का त्योहार 22 अगस्त को मनाए जाने की खबरें थीं और इसीलिए 22 अगस्त को सरकारी अवकाश का एलान किया गया था. इसके बाद जामा मस्जिद ने रविवार को इस बात का एलान किया कि बकरीद का त्योहार 23 अगस्त को मनाया जाएगा. लिहाजा इस त्योहार के लिए सरकारी छुट्टी भी 23 अगस्त को ही दी जाएगी।

कब मनाई जाती है बकरीद?

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने जुल हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है. यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्‍म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है।

बकरीद क्‍यों मनाई जाती है?

इस्‍लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्‍व है. इस्‍लामिक मान्‍यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके नेक जज्‍बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया।

क्यों दी जाती है कुर्बानी?
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है।

बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है. इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिए जाते हैं. ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।