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बशर्ते आप मे साहस हो…..एक दिन…केवल पिता के नाम

Tajinder Singh
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बशर्ते आप मे साहस हो…..
बचपन में आँखे खुलने से लेकर जिन्हें हर पल देखता आया।
जिनकी ऊँगली पकड़ जिंदगी के रास्तों पर चलना सीखा।
जिनके बगैर किसी तस्वीर की पहले कभी कल्पना ही नहीं की थी।
आज उनके बगैर 18 लबें साल बीत गए……….
जिंदगी की तेज रफ़्तार में………
यादें कुछ धुंधला सी गयी है।
बीते हुए वक्त ने कुछ धूल सी डाल दी है इन यादों पर…..ताकि ये परेशान न करें।
लेकिन दिल चाहता है की आज और कुछ न करूँ……..
इन बंद पड़ी यादों की अनगिनत कोठरियों को एक एक कर खोलूं
और इन पर पड़ी समय की गर्त को साफ करूँ।
अहसास करूँ और फिर से जिउं उन के साथ बीते समय को
चाहे यादों में ही सही।……
पिता की सायकिल पर बैठ दुर्गा पूजा घूमना,
उनके काम से लौटने का बेसब्री से इंतज़ार करना…..
क्यों की उनकी सायकिल चलाने को मिलेगी।
जिद कर के ली हुई ढेर सारी चीजें….
खिलोने, सायकिल, ट्रांजिस्टर, रिकार्ड प्लेयर, टेप रिकॉर्डर
अब न वो है…..न ये सब वस्तुएं
अगर कुछ है तो केवल…यादें
याद है वो कष्ट……
जब दूसरों को सहारा देने वाले को खुद पहली बार लाठी का सहारा ले खड़े देखा…
बहुत कमजोर हो गए थे पिता…
मैंने कहा ये क्या हो गया पापा……?
तो उनका जवाब आज भी याद है………
“बेटा इंसान नहीं समय बलवान होता है।”
समय सचमुच बहुत बलवान निकला…….
ले गया बलपूर्वक….असमय ही…..
मुझे एक वृद्ध की मजाक में ही कही बात अक्सर याद आती है।
ईश्वर अपने सर कभी कोई इलज़ाम नहीं लेते।
वो सब को अपना प्रसाद देतें है।
किसी को ब्लड प्रेशर, किसी को शुगर, किसी को कैंसर….
लोग कहतें है की बेचारा फलां कारन से चल बसा।
ईश्वर शायद पिता को बहुत प्यार करते थे।
प्रसाद कुछ ज्यादा ही दे दिया।
पितृ पक्ष या श्राद्ध के नाम पर किये जाने वाले हर कर्म-कांड का मै हमेशा ही विरोधी रहां हूँ।
लेकिन इनमे एक बात मुझे अच्छी लगती है।
एक दिन लोग अपने पूर्वजों को याद तो करतें है।
एक दिन… केवल पिता के नाम
मैंने गुरुद्वारे जाकर पिता के नाम की अरदास कराने से बेहतर एक ओल्ड एज होम कम वृद्धों के अस्पताल में उनके साथ समय बिताना बेहतर समझा।
आज का दिन वहां पहले ही से बुक था। इसलिए कुछ दिन पहले की ये तस्वीरें हैं। इन तस्वीरों का मकसद खुद का महिमामंडन नही। बल्कि ये बताना कि जैसे मुझे इस काम के लिए किसी को देख प्रेरणा मिली। इससे भी कुछ लोग प्रेरणा लें। और कुछ हटकर सोचें।
मेरा ये स्पष्ट मानना है कि दुनिया मे पैसे की कमी नही। कमी है तो केवल सोच की। परंपरा से हट कर भी बहुत कुछ अच्छा किया जा सकता है।
बशर्ते आप मे साहस हो…