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बहुजन समाज के लीडर ग़लत तरीक़े से संघर्ष कर रहे हैं : सरदार मेघराज सिंह का लेख!

Meghraj Singh
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अगर बहुजन समाज के लीडर इसी तरीक़े से संघर्ष करते रहे तो बहुजन समाज सदियों सदियों तक कभी भी आज़ाद नहीं हो पाएगा ।
बहुजन समाज के लीडर ग़लत तरीक़े से संघर्ष कर रहे हैं जैसे की—
नंबर वन —बहुजन समाज के लीडर दूसरे लीडरो की कमी निकाल कर उनको ग़लत साबित करते हैं और अपने आपको सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं ।
नंबर दो —बहुजन समाज के लीडर दूसरे लीडरों से ख़ुद नफ़रत करते हैं और अपने फोलोवर को भी नफ़रत करनी सिखा रहे हैं ।
नंबर तीन—बहुजन समाज के लीडर ना जुबान के पक्के हैं ना वह इमान के पक्के हैं और वह वक़्त के पक्के हैं इसीलिए वह सब फ़ेल हो रहे है ।
मेरे निजी अनुभव के अनुसार यह तीन कारण है बहुजन समाज के लीडर ही अपने समाज को गुमराह कर रहे हैं ।
बहुजन समाज के लीडर अगर नीचे दिये गए इन तीन नियमों को अपनी ज़िंदगी में अपनाएंगे तो वह ख़ुद को भी और अपने बहुजन समाज ग़ुलामी से आज़ाद करा पाएंगे ।
अगर बहुजन समाज लीडर इस तरीक़े से संघर्ष करेंगे तो जैसे कि —-
नंबर वन—अगर बहुजन समाज के लीडर दुसरे लीडरो की बुराई नहीं करेंगे और जो भी समाज के लिए सही काम कर रहे हैं उनका सपोर्ट करेंगे तब उन लीडरों की मानसिक शक्ति का और शरीर की शक्ति का विकास होगा ।
नंबर दो—अगर बहुजन लीडर ना तो दूसरे लीडरो से ख़ुद नफ़रत करेंगे और नाही अपने फ़ॉलोवर को दूसरे लीडरों से नफ़रत करनी सिखाएंगे अगर ऐसा करेंगे तो उनके का मानसिक संतुलन सही रहेगा जिसका मानसिक संतुलन से रहता है वही सही काम करते है ।
नंबर तीन—अगर बहुजन लीडर ज़ुबान के पक्के होंगे ईमान के पक्के होंगे और वक़्त के पक्के तब ही वह अपनी मानसिक शक्ति का शरीर की शक्ति का अपने बहुजन समाज की शक्ति का सही इस्तेमाल करके पुरे भारत को ग़ुलामी से आज़ाद करा देंगे ।
लीडरों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण यह बात है ।
जिन बहुजन लीडरो के अंदर झूठ ही झूठ होगा वह ख़ुद की बर्बादी भी करेंगे और अपने समाज को भी बर्बाद करेंगे इसी लिए बहुजन समाज के लीडर झूठ को मन से त्यागे अपने समाज के भले के लिए ।
जिल लीडरो के अंदर थोड़ा झूठ होगा थोड़ा सच होगा वह ख़ुद दुविधा में रहेंगे और अपना समाज को भी दुविधा में फँस जाएंगे इसीलिए दुविधा से बाहर निकलने के लिए सच को बहुजन लीडर सचमुच को अपनाएं अपने समाज के भले के लिए ।
जिन लीडरों के अंदर सच ही सच होगा वही अपने समाज को और अपने आपको फ़ायदा पहुँचाएगे और अपने समाज को ग़ुलामी से आज़ाद करा देंगे और वही लीडर ज़िंदे इंसान होंगे ।
नोट —अगर बहुजन लीडर ज़ुबान के पक्के ईमान के पक्के और समय के पक्के होकर लगातार संघर्ष करेंगे तो 100% अपने समाज को गुलामी से आजाद करा देंगे ।
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( M S Khalsa)

Meghraj Singh

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बहुजन समाज के लीडरों की वजह से ही बहुजन समाज ब्राह्मणों की ग़ुलामी से भी ज़्यादा ख़तरनाक बहुजन लीडरों की ग़ुलामी में आज फँस गया है ।
जानिए कैसे —-
अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजनों को ऐसा सिखा रहे हैं तो जैसे कि —-
नंबर वन —-अगर बहुजन समाज के लीडर अैसा बोल रहे हैं कि हमारा संगठन ही सबसे बड़ा संगठन है हमारा संगठन ही सबसे ताक़तवर संगठन है जितने भी दुसरे संगठन चल रहे हैं वह सब सरकारी एजेंट है या RSS के एजेंट हैं तो समझ लेना कि वह बहुजन समाज ग़ुलामी में फँसते जा रहा है ।
नंबर दो—अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजन समाज के सामने ऐसी बातें कर रहे हैं कि मैं सबसे ज़्यादा गुणवान हूँ मैंने सबसे ज़्यादा संघर्ष किया है मैं ही हूँ जो भारत को ग़ुलामी से निकाल सकता हूँ अगर कोई लीडर ऐसा बोल रहा है तो समझ लेना कि वह बहुजन समाज को ग़ुलामी में फँसा रहा है ।
नंबर तीन—अगर बहुजन लीडर ऐसा बोल रहे हैं कि सिर्फ़ हमारे संगठन को ही तुम लोग डोनेशन इकट्ठा करके दो हम ही पूरे भारत को ज्ञानवान बनाएंगे हम ही पूरे भारत में शिक्षा फैलाएंगे हमारे इलावा किसी और को डोनेशन देना बंद करें अगर लीडर ऐसा बोल रहे तो वह बहुजन समाज ग़ुलामी में फँसा रहे है ।
नंबर चार—अगर बहुजन समाज के लोग अपने लीडरो से प्यार कर रहे हैं और दूसरे लीडरों से नफ़रत कर रहे हैं उनकी बुराइयाँ कर रहे हैं उनको गालियां दे रहे हैं तो समझ लेना की बहुजन समाज ग़ुलामी में फँस गया है ।
नंबर पाँच—अगर बहुजन समाज के लोग अपने ही लीडर की बातों को बिलकुल अंतिम सच मान रहे हैं अपने ही लीडरों की बातों के ऊपर आँखें बंद करके विश्वास कर रहे हैं अपने ही लीडर की बातों को सौ प्रतिशत सच मान रहे हैं तो समझ लेना की बहुजन समाज ग़ुलामी में फँस गया है ।
अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजन को ऐसा सिखा रहे हैं जैसे कि—
नंबर वन—अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजन समाज के लोगों को यह कह रहे हैं कि जितने भी भारत में संगठन चल रहे हैं वह है सब बहुजनो को आज़ाद कराने के लिए चल रहे हैं सब की विचारधारा एक जैसी नही भी हो सकती है पर फिर भी आप सभी दिमाग़ खोलकर के सबके ऊपर ध्यान दें और सच्चाई और ईमानदारी का साथ दें अगर ऐसा कह रहे हैं तो समझ लेना कि बहुजन समाज ग़ुलामी से बाहर निकल रहे है ।
नंबर दो —अगर बहुजन समाज के लीडर बहुजनो को यह कह रहे हैं जो मैं आप लोगों को ज्ञान सिखा रहा हूँ यह ज्ञान महापुरुषों का हैं मैं तो कुछ भी नहीं हूँ मै तो एक आम इंसान हूँ बस आप लोगों मे और मेरे में सिर्फ़ इतना ही फ़र्क है कि आप मेरी बात सुन रहे है और मैं आप लोगो को बाते सुना रहा हूँ अगर बहुजन लीडर ऐसा बोल रहे हैं तो समझ लेना कि वह बहुजन समाज ग़ुलामी से बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे ।
नंबर तीन—अगर बहुजन लीडर बहुजन समाज को लोगों को यह कह रहे हैं कि डोनेशन अगर देना है तो सच्चाई और ईमानदार संगठनों को दे और उनको दें जो बहुजनो के हक़ में काम कर रहे हैं अगर बहुजन लीडर ऐसा बोल रहे हैं तो वह बहुजन समाज को ग़ुलामी से बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं ।
नंबर चार—अगर बहुजन समाज के लोग जितने भी लीडर काम कर रहे हैं अगर उनको ध्यान से देख रहे हैं और सब लीडरों के काम पर ध्यान दे रहे हैं और जो ग़लत कर रहा है उस को प्यार से समझा रहे हैं और सही लीडर का साथ दे रहे हैं तो समझ लेना कि बहुजन समाज मानसिक ग़ुलामी से बाहर निकल चुका है ।
नंबर पाँच —-अगर बहुजन समाज के लोग आँखें खोलकर के दिमाग़ खोलकर के सभी लीडरो की बातें सुन रहे हैं और सच्चाई और ईमानदारी से सब की बातों पर ध्यान दे रहे हैं और सच्ची बातों को मान रहे हैं और झूठ का विरोध कर रहे हैं तो समझ लेना कि बहुजन समाज मानसिक ग़ुलामी से बाहर निकल चुका है ।

कुछ महत्वपूर्ण शायरी
अगर बहुजन समाज लोगो के अंदर और बहुजन समाज के लीडरो के अंदर झूठ और बेईमानी होगी तो वह सही और ग़लत की पहचान कभी नहीं कर पाएंगे ।
अगर बहुजन समाज के लोगो के अंदर और बहुजन समाज के लीडरों के अंदर सच्चाई इमानदारी होगी तभी वह सही और ग़लत की पहचान कर पाएंगे ।
जो सच्चे और ईमानदार बहुजन लोग और बहुजन लीडर होगें वह बिना वजह के किसी दूसरे संगठन की बुराई नहीं करेंगे बल्कि बहुजन समाज के उद्धार के लिए लगातार काम करेंगे ।
जिन बहुजन लीडरो के अंदर सच्चाई और ईमानदारी होगी वह ना कभी झुकेंगे ना कभी रुकेंगे ना कभी बिकेंगे वही 100% बहुजन समाज को आज़ाद करा पाएंगे ।

नोट—झूठे और बेईमान लोग इस आर्टिकल को बिलकुल भी नहीं समझ पाएंगे जिन बहुजन लीडरो के अंदर सच्चाई और ईमानदारी होगी वही इस आर्टिकल को समझ कर के मिशन को आज़ादी तक पहुंचाकर क़ामयाब बनाएंगे सच्चे और ईमानदार इन्सान ही ज़िंदे इंसान होते हैं ।
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Meghraj Singh
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झूठ इंसान के अंदर कुत्तो वाले संस्कार पैदा कर देता है ।
सच इंसान के अंदर शेरों वाले संस्कार पैदा कर देता है ।
जैसे कुत्ते के संस्कार होते है वैसे ही झूठे इंसान के संस्कार होते है ।
जैसे विश्व के अंदर कुत्ते नाइंटी परसेंट अपने मालिक के भरोसे ज़िंदगी जीते हैं
वैसे ही विश्व के अंदर झूठे इंसान भी अपने आकाओं के भरोसे ज़िंदगी जीते हैं ।
जैसे विश्व के अंदर कुत्ते अपने मालिकों की पूरी वफ़ादारी से ग़ुलामी करते हैं ।
वैसे ही विश्व के अंदर झूठे इंसान भी अपने मालिकों की पूरी वफ़ादारी से ग़ुलामी करते हैं ।
जैसे विश्व के अंदर नाइंटी परसेंट कुत्ते अपने मालिकों की टुकड़ों पर ज़िंदगी गुजारते हैं ।
वैसे ही विश्व के अंदर नासमझ और निकम्मे झूठे लोग दूसरों के टुकड़ों पर अपनी ज़िंदगी गुजारते हैं ।
जैसे विश्व के अंदर नाइंटी परसेंट कुत्ते पूरी वफ़ादारी से अपनी ग़ुलामी करके भटक कर मर जाते हैं ।
वैसे ही विश्व के अंदर नासमझ और निकम्मे लोग दूसरों की ग़ुलामी कर कर कर के भटककर मर जाते हैं ।
जैसे शेरो के संस्कार होते है वैसे ही सच्चे इंसानों के संस्कार होते है ।
जैसे विश्व के अंदर नाइंटी परसेंट शेर आज़ादी की ज़िंदगी जीते हैं ।
वैसे ही पूरे विश्व के अंदर सच्चे और ईमानदार इंसान आज़ादी की ज़िंदगी जीते हैं ।
जैसे नाइंटी परसेंट विश्व के अंदर शेर ग़ुलामी पसंद नहीं करते ।
वैसे ही पूरे विश्व के अंदर सच्चे इंसान गुलामी पसंद नहीं करते ।
जैसे पूरे विश्व के अंदर शेर किसी दूसरे का मारा हुआ शिकार नहीं खाते बल्कि ख़ुद मारकर खाते हैं ।
ऐसे ही पूरे विश्व के अंदर सच्चे इंसान किसी दूसरे की कमाई नहीं खाते ख़ुद बल्कि कमाकर खाते हैं ।
जैसे विश्व के अंदर नाइंटी परसेंट शेर आज़ादी से सुकून से ज़िंदगी जीते हैं ।
वैसे ही पूरे विश्व के अंदर सच्चे और ईमानदार इंसान आज़ादी से सुकून की जिंदगी जीते हैं ।

कुछ महत्वपूर्ण ख़ास बातें।
अगर हमारे अंदर झूठ ही झूठ और बेईमानी ही बेईमानी है तो हमारी ज़िंदगी कुत्ते के संस्कार वाली बन जाएगी ।
अगर हमारे अंदर थोड़ा सच है थोड़ा झूठ है तो हमारी ज़िंदगी अच्छे पशुओ वाली और साधारण इंसान के जैसी बन जाएगी ।
अगर हमारे अंदर सच ही सच है इमानदारी ही ईमानदारी है तब ही हमारी ज़िंदगी शेरो वाली और महान इंसानो के जैसी ज़िंदगी बन जाएगी

कुछ महत्वपूर्ण शायरी
अगर झूठे और बेईमान इंसान भी सचमुच ही सच को अपनाएंगे वह भी कुत्तो वाली ज़िंदगी से बाहर निकल जाएगे ।
अगर वह लगातार सच्चाई और ईमानदारी से काम करेंगे फिर वह शेरों वाली ज़िंदगी जीने लग जाएंगे ।
जो इंसान कभी झूठ बोलते हैं कभी सच बोलते हैं ऐसे इंसान भी अगर सचमुच ही सच को अपनाऐगे वह भी शेरों के जैसे संस्कार वाले बन जाएंगे ।
अगर साधारण इंसान भी सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर पूर्ण रूप से चलेंगे तो वह भी महान बनकर अपने अंदर से ही परमसुख को पाएंगे ।
नोट— जिन इंसानों के अंदर सच होगा वही जंगल के शेर के जैसे होगे वही इन बातों को परख सकते हैं विचार कर सकते हैं और समझ सकते हैं ।
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डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है