

Related Articles
“बाढ़, सूखा और टेन परसेंट”
सुनो रे किस्सा, Suno Re Kissa =============== · “बाढ़, सूखा और टेन परसेंट” जोर लगा बे ” शैतान जने”, तखत पर अधनंगे, औंधे मुँह पड़े, “विधायक डब्बू भइया” ,और उनकी तेल मालिश करता “सज्जन” बदमाश, समझता है न “सज्जन”, “भगीरथी” कल्क्टर साहब का करैक्टर, हमसे पूछते हैं बाढ़ पीड़ित फंड के बारे में, अरे बाढ़ […]
——– अबकी बार, ले चल पार ——-By-रवीन्द्र कान्त त्यागी
Ravindra Kant Tyagi =================== ——– अबकी बार, ले चल पार ——- छुट्टी के अब मात्र पांच दिन बचे हैं. जब से ऑस्ट्रेलिया से लौटा हूँ, कॉलेज के ज़माने के एक भी मित्र से मुलाकात नहीं हुई. पांच साल लंगे समय के थपेड़ों ने सब को जहां तहां बखेर दिया है. हर शाम उदास सा इस […]
*जूते पड़ना*….पर आधारित लघु कथा!
*नयी राह* रवि क्या तुम्हारे पास 100 रुपये हैं?कुछ दिनों के लिये उधार चाहिये।क्या दोगे? झूठ नही बोलूंगा सुधीर,रुपये तो मेरे पास 150 है,पर इनसे मुझे स्कूल के बाद घर सामान लेकर जाना है। प्लीज रवि तुम 100 रुपये मुझे दे दो,आज ही चाहिये,घर पर कोई बहाना बना देना। अरे क्या जूते पडवाओगे?फिर मैं झूठ […]