नई दिल्ली: ऑल इण्डिया मजलिस ऐ इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष बैरिस्टर असदउद्दीन ओवैसी ने अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘अगर यह मामला बड़ी संवैधानिक बेंच में भेजा जाता, तो बेहतर होता. मुझे आशंका है कि इस देश की धर्मनिरपेक्षता के दुश्मन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का उपयोग अपने विचारधारात्मक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अयोध्या विवाद पर बड़ा फैसला
अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. तीन जजों की बेंच में से सबसे पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस अशोक भूषण ने संयुक्त फैसला सुनाया।
It would have been better if this issue was referred to Constitutional bench. Also, I have an apprehension that the enemies of secularism in this country will use this judgment to realize their ideological objectives: Asaduddin Owaisi on Ayodhya matter (Ismail Faruqui case) pic.twitter.com/1iWetCIBce
— ANI (@ANI) September 27, 2018
चीफ जस्टिस और जस्टिस भूषण के बाद जस्टिस अब्दुल नजीर ने उनके फैसले पर असहमति जताई. राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले पर बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की मांग लेकर दायर याचिकाओं पर गुरुवार को आए फैसले की मुख्य बातें यहां जानिए।
Full Press Conference : AIMIM President Barrister Asaduddin Owaisi has said the ordinance passed by the Union Cabinet making triple talaq a criminal offence will do more injustice to Muslim women. https://t.co/o1877s2CBM #TripleTalaq
— Syed Abdahu Kashaf (@syedKashaf95) September 27, 2018
1. जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि पुराना फैसला उस वक्त के तथ्यों के मुताबिक था. इस्माइल फारूकी का फैसला मस्जिद की जमीन के मामले में था.
2. जस्टिस भूषण ने कहा कि ‘फैसले में दो राय, एक मेरी और एक चीफ जस्टिस की, दूसरी जस्टिस नजीर की. मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अटूट हिस्सा नहीं है.’. उन्होंने कहा कि ‘इस्माइल फारूकी के फैसले पर दोबारा विचार की जरूरत नहीं’.
3. जस्टिस भूषण ने कहा कि पूरे मामले को बड़ी बेंच में नहीं भेजा जाएगा. इस्माइल फारूकी के फैसले पर दोबारा विचार की जरूरत नहीं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 29 अक्टूबर से राम मंदिर मामले पर सुनवाई शुरू होगी.
4. जस्टिस नजीर ने फैसला सुनाते समय कहा कि यह मामला बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए. वहीं जस्टिस मिश्रा और जस्टिस भूषण बड़ी बेंच को मामला भेजने के पक्ष में नहीं.
5. जस्टिस नजीर ने कहा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है इस विषय पर फैसला धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए, उसपर गहन विचार की जरूरत है. पुराने फैसलों में सभी तथ्यों पर विचार नहीं हुआ है.
6. जस्टिस भूषण ने कहा कि सभी धर्मों और धार्मिक स्थानों को समान रूप से सम्मान देने की जरूरत है.
7. सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला करना था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं और क्या इस मसले को बड़ी संवैधानिक बेंच को भेजा जाए