साहित्य

बारह मासा का एक गीत……By-अवध बिहारी श्रीवास्तव

अवध बिहारी श्रीवास्तव

Lives in Kanpur, Uttar Pradesh

From Varanasi, India

============
मित्रों
बारह मासा का एक गीत
पूस
कांधे पर अभाव की लाठी
पूस घूमता गांव मे
गन्ने के रस पर दिन बीता
रात बिताएंगे नारायण
काकी कथरी ओढ़े चुप हैं
काका बांच रहे रामायण
हाथ पसारें कैसे जकड़ीं
मर्यादाएं पांव मे
भइया ने परिवार अलग कर
कलकत्ते मे घर बसा लिया
बाबू जोह रहे मनिआडर
लौट गया फिर आज डाकिया
फिर भी बाबू बैठे झूठी
आशाओं की छांव मे
लाला बांट गया है गल्ला
ढाई गुना फसल पर देना
सरकारी कर्जा भरने को
फिर मुखिया से कर्जा लेना
इसी चक्र ने छेद किया है
हर किसान की नाव मे
अवध बिहारी श्रीवास्तव
अक्षर भारत
१३नवंंबर,१९९५