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बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चुनाव में मतदातों को एक-एक किलो ”मटन” लोगों के घरों में पहुंचाया था!

भारत में चुनाव आयोग चुनावों को करवाता है, चुनाव आयोग का ही काम होता है कि नज़र रखे कि चुनाव साफ़-सुथरे, हिंसा रहति हों, किसी तरह की कोई गड़बड़ न हो, मतदातों को प्रभावित न किया जाये, तमाम बातें एक तरफ मगर सच्चाई ये है कि चुनाव में कोई गाइडलाईन काम नहीं करती है, चुनाव लड़ने वाले दिल खोल कर पैसा खर्च करते हैं हां चुनाव आयोग को जो हिसाब चाहिए होता है वो रिकॉर्ड ज़रूर जमा करवा देते हैं, चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी चुनावों को दौरान शराब, पैसा, साड़ियां, टीवी, फ्रिज आदि चीज़ें मतदातों को रिझाने के लिए देते हैं, यहाँ देखें नितिन गडकरी ने ” मटन” बांटने की बात खुद बताई है

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। वह मुखर अंदाज में अपनी बात रखने के लिए मशहूर हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि कैसे एक-एक किलो मटन बांटने के बाद भी उनको चुनाव में शिकस्त मिली थी। उन्होंने कहा कि मतदाता जागरूक हैं, वह माल सबका खाते हैं, लेकिन वोट उसी को देते हैं, जिसको चाहते हैं।

गडकरी राज्य शिक्षक परिषद की ओर आयोजित एक कार्यक्रम में सिरकत करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा, मेरा इस बात पर भरोसा नहीं है कि लोग चुनावों में पोस्टर लगाकर खिला-पिलाकर जीत जाते हैं। मैं कई चुनाव लड़ चुका हूं। सारे प्रयोग कर चुका हूं। मैंने एक बार प्रयोग किया था जिसमें एक-एक किलो सावजी मटन लोगों के घरों में पहुंचाया था। लेकिन फिर मैं चुनाव हार गया था।

गडकरी ने आगे कहा कि लोग बहुत तेज हैं। वह कहते हैं कि जो दे रहा है, वह खा लो। अपने ही बाप का माल है, लेकिन वोट उसे ही देते हैं, जिसकों उन्हें देना होता है। उन्होंने कहा, जब आप लोगों के बीच भरोसा कायम करते हैं तो वह आप पर विश्वास करते हैं। तब आपको कोई पोस्टर या बैनर लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये मतदाता किसी के लालच में नहीं आते। क्योंकि उन्हें आप पर भरोसा होता है और यह लंबी अवधि के लिए होता है, छोटी के लिए नहीं।

उन्होंने कहा, कोई चुनाव मटन की पार्टी या फिर होर्डिंग्स लगा देने से नहीं जीता जा सकता। जनता के बीच आपको भरोसा और प्यार बनाना होगा। जनता को किसी तरह का लोभ देने के बजाय आपको उनके बीच भरोसा पैदा करना होगा।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, लोग अकसर कहते हैं कि हमें सांसदी का टिकट दे दो। वह नहीं तो विधायक को दिकट दे दो, नहीं तो एमएलसी या फिर आयोग का टिकट दे दो। इतना ही नहीं तो मेडिकल कॉलेज दे दो। वह भी नहीं इंजीनियरिंग या बीएड कॉलेज दे दो। यह भी नहीं तो प्राइमरी दे दो, ताकि मास्टर की आधी सैलरी मिल जाए। लेकिन इससे देश नहीं बदलेगा।