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आज मैं निकला कल तक पहुंचने के लिए, फिर….भारद्वाज दिलीप की रचना पढ़िये
भारद्वाज दिलीप ============== Jaipur, Rajasthan ०००००००००००० आज मैं निकला कल तक पहुंचने के लिए फिर तीन लोगों से मिला एक ने सुना एक बोला एक ने देखा मैं मिल कर लौट लिया लौट कर एक पेड़ के पास रुका उसको मैंने देखा उसने मुझे देखा और खड़ा ही रहा। मैं वहां से भी चल दिया […]
समय पुराना था, घर की बेटी, पूरे गाँव की बेटी होती थी…आज की बेटी पड़ोसी से ही असुरक्षित हैं…!…by-अंगद अग्रहरि
Anand Agrahari ============= समय पुराना था 🩸तन ढँकने को कपड़े न थे, फिर भी लोग तन ढँकने का प्रयास करते थे …! आज कपड़ों के भंडार हैं, फिर भी तन दिखाने का प्रयास करते हैं समाज सभ्य जो हो गया हैं । 🩸समय पुराना था, आवागमन के साधन कम थे। फिर भी लोग परिजनों से […]
मेरी_धर्मपत्नी_और_मैं…….By-मुकेश_शर्मा
Lekhak Mukesh Sharma =============== #मेरी_धर्मपत्नी_और_मैं #मुकेश_शर्मा मेरी धर्मपत्नी अक्सर मुझे ताने देती है कि तुम आज तक मुझे कहीं घुमाने ले गये?मैं चुप रह जाता हूँ तो फिर कहती है कि आज तक तुमने इतनी फिल्में देखीं कभी मुझे भी पिक्चर हॉल का मुँह दिखाया।वास्तव में मेरे पास उसके किसी प्रश्न का उत्तर नहीं।तुमने कभी […]