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ब्राह्मणों को हज़ारों सालों से आज तक कोई भी सच्चा गुरु क्यों नहीं मिला, जानिए…जो सच जानना चाहते हैं…

Meghraj Singh
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ब्राह्मणों को हज़ारों सालों से आज तक कोई भी सच्चा गुरु को नहीं मिला
जानिए कैसे—- क्योंकि
ब्राह्मणों में भूतकाल में भी जात पात उंच नीच भेद भाव छुआ छूत नफ़रत और असमानता थी ।
ब्राह्मणों में वर्तमान में भी जात पात है ऊँच नीच भेदभाव है छुआ छूत नफ़रत है और समानता है ।
इसीलिए हम यह दावे के साथ कह सकते है कि ब्राह्मणों को आज तक कोई भी सच्चा गुरु नहीं मिला है ।
क्योंकी सच्चा गुरु सबसे पहले जात पात उंच नीच भेद भाव और छुआ छूत को ही ख़त्म करता है ।
फिर इंसान के अंदर मानवता इंसानियत अपनापन और सबर संतोष आ जाता है जिसकी वजह से उसके अंदर से नफ़रत और भेदभाव सब कुछ ख़त्म हो जाता है ।
सबसे ख़तरनाक ब्राह्मणों के पास मनुस्मृति वाला ग्रंथ है जिसकी वजह से इनको यह समझ नहीं आता की धर्म क्या है अधर्म हम क्या है इसलिए इनको सच्चे गुरु की पहचान कभी नहीं हो सकती और नाही कभी इन लोगों को सुधार हो सकता है ।

नोट —अगर ब्राह्मण सचमुच ही सच को ईमानदारी को अपनाएंगे तब ब्राह्मणो का सुधार होना भी संभव हो जाएगा अगर ब्राह्मणो के अंदर समानता सब्र संतोष इंसानियत प्रेमभाव आ गया है तो समझ लेना सुधार हो गया है ।

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(सतयुगी किंग M S Khalsa)

 

Tajinder Singh
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जो सच जानना चाहते हैं…
हालांकि उससे कोई बहुत अच्छा परिचय नही था और वह भी मुझे कितना जानता है मुझे नही मालूम था। लेकिन मैं बचपन से ही धर्म सिंह को जानता था। मेरे घर वालों ने इनसे मुझे परिचित कराया था। उसकी बीमारी और फिर हॉस्पिटल में भर्ती होने की खबर ने मुझे दुखी कर दिया था।
आजकल के हॉस्पिटल की व्यवस्था भी अजीब है। मरीज से जल्दी मिलने ही नही देते। मैंने एक दो बार प्रयास किया। लेकिन पता लगा कि अंदर आई सी यू में है, जहां किसी को जाने नही देते। अगर आप बहुत विशिष्ट हैं तभी वहां अंदर तक जा सकते हैं। मुझ से साधारण व्यक्ति में कोई विशिष्टता तो थी नही। कुछ दिन बाद खबर मिली की वेंटिलेटर पर है। इस बीच मैंने कोशिश की उसे देखने की लेकिन कड़े नियम कायदों ने अंदर पहुंचने न दिया।
धर्म सिंह का हालचाल जानने की मेरी प्रबल इच्छा ने जोर मारा तो मैंने येन केन प्रकारेण अंदर घुसने की ठान ली। एक दिन प्रहरियों को चकमा देकर किसी तरह अंदर पहुंच गया।
अंदर जाकर देखा तो विभिन्न मेडिकल उपकरण लगाए हुए धर्म सिंह एक बेड पर लेटा हुआ है। किसी समय की एक हस्ती को इस हाल में देख मन दुखी हो गया। पता नही बीमारी इसे खा गई या अस्पताल वालों ने इसका ये हाल कर दिया। मुझे तो धर्म सिंह अब डॉक्टरों और अस्पताल वालों के रहमो कर्म पर लग रहा था। बेबस और लाचार।
आजकल के डॉक्टर और हॉस्पिटलों पर आप बहुत भरोसा नही कर सकते। ये अस्पताल कम कसाई खाने ज्यादा हैं। धर्म सिंह के बेड के थोड़ा करीब गया तो देखा कि उससे जुड़े किसी भी उपकरण में कोई रीडिंग ही नही। सारे उपकरण खामोश पड़े हैं। यानी धर्म सिंह अब जिंदा नही।
सामने बेड पर धर्म सिंह नही उसकी लाश पड़ी है और मृत देह को वेंटिलेटर पर दिखा हस्पताल वाले धर्म सिंह के नाम पर बिल पर बिल वसले चले जा रहे हैं। डॉक्टरी के पेशे पर ये डॉक्टर एक बदनुमा दाग है। और इसमें बकायदा हस्पताल वाले भी शामिल हैं। क्योंकि इससे दोनों का फायदा है। ठगे तो हमारे आपके जैसे लोग जा हैं। जो डॉक्टर को भगवान और अस्पताल में अपनी श्रद्धा रखते हैं।
सोचा बाहर जाकर लोगों को सब सच सच बता दूं कि धर्म सिंह तो कब का मर चुका है। हमारे विश्वास के केंद्र ये डॉक्टर और हस्पताल तो हम से ही छल कर रहे हैं। लेकिन इनमें अगाध श्रद्धा रखने वाले लोग क्या मेरी बात पर भरोसा करेंगे?
लोगों का विश्वास इतना प्रबल है कि इतना पुराना हट्टा कट्टा धर्म सिंह इतनी जल्दी नही मर सकता। और अगर कुछ हुआ भी तो काबिल डॉक्टर और हस्पताल वाले सब सम्भाल लेंगे।
बहरहाल मैं विश्वास और आस्था रखने वालों की बात नही कर रहा। लेकिन जो सच जानना चाहते हैं। उनके लिए खबर ये है कि धर्म सिंह मर चुका है और उसकी लाश को वेंटिलेटर पर रख अब ये पैसे बना रहे हैं।
नोट – धर्म सिंह को लोग धर्म नाम से भी बुलाते थे और बाकी लोगों के नाम भी आपको पता ही होंगे।

 

 

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है, लेख सोशल मीडिया से प्राप्त हैं