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ब्राह्मण राज रावण और उनके कुनबे को नष्ट करवाने में महर्षि अगस्त्य, महर्षि मतंग, ऋषि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र आदि भी बराबर के दोषी हैं…

वाया : Apna mohalla-अपना मोहल्ला//fb
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कल मैंने रावण के बारे में पोस्ट तो कर दिया लेकिन बाद में मेरी आत्मा ही मुझे धिक्कारने लगी कि मैं कैसा आदमी हूँ जो अपने पूर्वजों का सम्मान तक नहीं कर सकता.
मैं अभी तक भगवान परशुराम, भगवान राम , कृष्ण आदि को ही अपना आइडियल मानता था लेकिन सोशल मीडिया में बहुत से पोस्ट पढ़ने के बाद मुझ पापी के ज्ञानचक्षु अंततः खुल ही गए और मुझे सत्य का ज्ञान हो ही गया.
इसीलिए, मैं प्रस्ताव देता हूँ कि पुराने वाल्मीकि रामायण को खारिज कर एक नया रामायण लिखा जाए जिसका टेक्स्ट कुछ इस प्रकार होगा..
कि… जब भगवान राम अपनी शिक्षा ग्रहण कर वापस अयोध्या लौटे तो पीछे पीछे ऋषि विश्वामित्र भी अयोध्या आ गए और उन्होंने राजा दशरथ से शिकायत किया कि…. एक ब्राह्मणी (रावण की बुआ थी) ताड़का बहुत अत्याचार करती है और यज्ञ आदि शुभ कर्म मे ताड़का नामक वो ब्राह्मणी माँस आदि डाल देती है.
फिर, भगवान राम और लक्ष्मण उनके साथ गए और उन्होंने उस ब्राह्मणी ताड़का को मार दिया.
तदुपरांत… जब भगवान राम को वनवास हुआ तो पंचवटी में एक दूसरी ब्राह्मणी शूर्पणखा का इन्होंने निजी दुश्मनी के कारण नाक कान काट दिया…
जिससे, गुस्साये सबसे बड़े ब्राह्मण देव रावण दादा ने माता सीता को किडनैप करवा लिया.
उसी दौरान भगवान राम ने मारीच नामक ब्राह्मण की भी हत्या कर दी.
और, इस पर भी मन नहीं भरा तो खर-दूषण नामक दो ब्राह्मण भाइयों को भी मार दिया.
तदुपरांत की कहानी तो और भी ज्यादा वीभत्स है कि वीर हनुमान ने दुश्मनी के कारण एक ब्राह्मण संचालित राज्य लंका (जहाँ कि सब धर्मात्मा लोग रहते थे) में जाकर आग लगा दी…
और, पाप के भागीदार बन गए.
फिर, तो…. भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने एक ब्राह्मण कुमार मेघनाद को मार कर ब्रह्महत्या का भी दोषी हो गए.
और, लक्ष्मण को बचाने के क्रम में वीर हनुमान ने जो कालनेमि को मारा था वो भी रावण दादा का सगा ही था..
इसीलिए, वो भी ब्राह्मण ही था.
सिर्फ इतना ही नहीं…. बल्कि हनुमान जी ने तो इसके पहले अशोक वाटिका में रावण पुत्र अक्षय कुमार का भी वध कर चुका था.
अंत में भगवान राम ने ब्राह्मण श्रेष्ठ रावण को मार कर उस महान ब्राह्मण साम्राज्य लंका का अंत कर दिया.
इस तरह… रामायण पढ़ने से ये साबित होता है कि…
रामायण एक ब्राह्मण विरोधी किताब है.
क्योंकि, रामायण में पग-पग पर ब्राह्मणों की हत्या का वर्णन है.
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि…. ब्राह्मण राज रावण और उनके कुनबे को नष्ट करवाने में महर्षि अगस्त्य, महर्षि मतंग, ऋषि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र आदि भी बराबर के दोषी हैं…
क्योंकि, उन्होंने ही समय समय पर भगवान राम को तरह तरह के हथियार उपलब्ध करवाए जिससे कि हमारे ब्राह्मण रावण दादा पर अत्याचार संभव हो पाया…!!
ब्राह्मण एकता जिंदाबाद…!!
रावण दादा अमर रहे…!
हमारी दीदी…शूर्पणखा दीदी…!
हमारी बुआ… ताड़का बुआ…!!
अब ठीक है न भाई लोग ???
अब तो धर्म और जाति से गद्दारी नहीं हुई न ???

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है