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ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने कहा, मैं कट्टर ज़ायोनी हूं, इस्राईल की बड़ी समर्थक हूँ : वीडियो

 

 

ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री और कंज़र्वेटिव पार्टी की नेता लिज़ ट्रस ने कहा है कि मैं कट्टर ज़ायोनी हूं और अपनी सरकार में ब्रिटेन और इस्राईल के संबंधों को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।

ब्रिटिश प्रधान मंत्री का ज़ायोनी होने पर बल देना, पश्चिमी नेताओं के संबंध में कोई नई बात नहीं है। इससे पहले अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन और अन्य कई नेता ज़ायोनी शासन को ख़ुश करने के लिए इस तरह के बयान देते रहे हैं। दूसरी ओर यही नेता मानवाधिकारों की रक्षा का भी दम भरते हैं, जबकि दुनिया भर में सबसे ज़्यादा ज़ायोनी शासन मानवाधिकारों का हनन करता है और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों को अपने पैरों तले रौंदता रहता है।

इस्राईल, पिछले सात दशकों से फ़िलिस्तीनियों पर अत्याचार कर रहा है, उनका नस्लीय सफ़ाया कर रहा है और उनके घरों और खेतों नष्ट करके अवैध बस्तियां बसा रहा है। इस्राईली अधिकारी फ़िलिस्तीनियों के लिए मानवाधिकारों को औपचारिकता प्रदान नहीं करते हैं, यहां तक कि भोजन और दवा जैसी बुनियादी ज़रूरतों की आपूर्ति में भी रुकावटें खड़ी करते हैं।

ऐसी स्थिति में भी एक सभ्य और सांस्कृतिक देश होने का दावा करने वाले ब्रिटेन की प्रधान मंत्री ज़ायोनी शासन के अत्याचारों का समर्थन कर रही हैं और न सिर्फ़ समर्थन कर रही हैं, बल्कि ख़ुद को कट्टर ज़ायोनी बता रही हैं। हालांकि ख़ुद ज़ायोनी होना ही एक कट्टरवाद और चरमपंथ की निशानी है, लेकिन ट्रस ज़ायोनी अधिकारियों से भी दो क़दम आगे बढ़कर ख़ुद को कट्टर ज़ायोनी बता रही हैं।

47 वर्षीय मेरी एलिज़ाबेथ ट्रस ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में फ़िलॉसफ़ी, राजनीति और अर्थशास्त्री की पढ़ाई की है। ऑक्सफ़ोर्ड में ही वह कंज़र्वेटिव पार्टी से जुड़ीं और 2001 में वेस्ट यॉर्कशायर के हेम्सवर्थ से पार्टी की उम्मीदवार बनीं, लेकिन चुनाव हार गईं। इसके बाद वेस्ट यॉर्कशायर के ही कैल्डर वैली से 2005 में फिर से चुनाव हार गईं। लेकिन उनकी राजनैतिक महत्वकांक्षाएं यहीं ख़त्म नहीं हुईं और 2010 में वह एक सुरक्षित सीट से चुनाव जीत गईं।

विदेश नीति को लेकर अकसर विवादास्पद बयानों के लिए पहचान बनाने वाली ट्रस के बारे में फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन हमास के नेता सामी अबूज़ोहरी का कहना है कि ब्रिटिश प्रधान मंत्री द्वारा ज़ायोनी शासन के समर्थन का अर्थ यह है कि वह भी अत्याचारी ज़ायोनी अधिकारियों के पंक्ति में खड़ी हो गई हैं। ऐसे ही लोग हैं, जो फ़िलिस्तीनी बच्चों और निर्दोष महिलाओं के नरसंहार पर बल दे रहे हैं और मानवता के नाम पर धब्बा बने हुए हैं।

फ़िलिस्तीनी और उनके समर्थक यह बात कभी नहीं भूल सकते कि ब्रिटेन ही वह देश है, जिसने फ़िलिस्तीन की सरज़मीन पर अवैध ज़ायोनी शासन की बुनियाद रखी थी। उसके बाद से ही यह देश फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईल के समस्त अत्याचारों का समर्थन करता रहा है और उन देशों में से एक है, जो इस्राईल को बड़ी मात्रा में हथियार देते रहे हैं, ताकि वह फ़िलिस्तीनियों का दमन जारी रख सके और पड़ोसी देशों की राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करता रहे।

ब्रिटिश प्रधान मंत्री का यह कहना है कि वह तेल-अवीव से ब्रिटिश दूतावास को अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब तक इस्राईल के समर्थक चार देश अमरीका, कोसोवो, ग्वाटेमाला और होंडुरास अपने दूतावासों को यरूशलम या बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित कर चुके हैं, लेकिन दुनिया भर के अधिकांश देशों ने अपने दूतावासों को तेल-अवीव से यरूशलम स्थानांतरित करने से इंकार कर दिया है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यरूशलम के पूर्वी हिस्से पर ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े को मान्यता नहीं देता है और इसे अवैध मानता है।