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भाजपा गुजरात के 2002 में मुसलमानों के क़त़्लेआम के अपराधियों को नवाज़ कर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है?

भारत के गुजरात राज्य में चुनाव क़रीब आने के साथ ही जहां राजनैतिक दल कई तरह के दांव आज़मा रहे हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से कुछ क़दम एसे उठाए गए हैं जिनसे यह सवाल पैदा होता है कि पार्टी गुजरात के 2002 में मुसलमानों के क़त़्ले आम के अपराधियों को नवाज़ कर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है।

राज्य की भाजपा सरकार ने बिल्क़ीस बानो केस के अपराधियों को माफ़ी दे दी जिनकी दरिंदगी की कल्पना करके ही इंसार दहल जाता है और अब पार्टी ने विधान सभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम एलान किए हैं तो एक नाम पायल कुकरानी का भी शामिल है जिनके पिता 2002 में हुए मुसलमानों के नरसंहार के अपराधी पाए गए थे और अदालत ने उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी।

28 फ़रवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया की मुस्लिम बस्ती में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी, इस जनसंहार के दोषियों में मनोज कुकरानी भी शामिल हैं। क़रीब 20 साल बाद इसी नरोदा पाटिया विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने मनोज कुकरानी की बेटी पायल को उम्मीदवार बनाया है।

मनोज कुकरानी अभी स्वास्थ्य कारणों से ज़मानत पर बाहर हैं और अपनी बेटी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

28 फ़रवरी 2002 को एक हिंसक भीड़ ने नरोदा पाटिया के मुस्लिम बहुल इलाक़े में हमला कर दिया था और 97 लोगों की जान ले ली थी, इसमें रेप और आगज़नी के भी कुछ मामले दर्ज किए गए थे, 2002 के गुजरात में दंगे में किसी एक जगह पर इतने लोगों की जान कहीं और नहीं गई थी।

पायल कुकरानी को बीजेपी से टिकट मिलने पर नरोदा पाटिया के कुछ पीड़ित मुस्लिम परिवार काफ़ी नाराज़ हैं।

दंगाइयों ने सलीम शेख़ की बहन की एक लड़की और उनके दो बच्चों की जान ले ली थी, सलीम शेख़ ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि मैं तो मनोज के ख़िलाफ़ गवाह भी बना था, उसे सज़ा भी मिली, अब वह अपनी बेटी के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है, मनोज कुकरानी एक दोषी है इसलिए बीजेपी उसको टिकट नहीं दे सकती है, ऐसे में बीजेपी ने परिवार वालों को टिकट दिया।

सलीम शेख़ ने कहा कि बीजेपी वालों से आपकी बात हो तो पूछिएगा कि दाऊद इब्राहिम की बेटी को यहाँ की कोई पार्टी टिकट देती तो कैसा लगता?