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भारतीय मुस्लमानों को धर्मिक सद्भावना और शाँति के लिये नॉबेल पुरुस्कार दिया जाए : संजीव भट्ट IPS

“मैं शांति चाहता हूं। मेरा बेटा चला गया है। मैं नहीं चाहता कि कोई दूसरा परिवार अपना बेटा खोए। मैं नहीं चाहता कि अब और किसी का घर का जले। मैंने लोगों से कहा है कि अगर मेरे बेटे की मौत का बदला लेने के लिए कोई कार्रवाई की गई तो मैं आसनसोल छोड़ कर चला जाऊंगा। मैंने लोगों से कहा है कि अगर आप मुझे प्यार करते हैं तो उंगली भी नहीं उठाएंगे। मैं पिछले तीस साल से इमाम हूं, मेरे लिए ज़रूरी है कि मैं लोगों को सही संदेश दूं और वो संदेश है शांति का। मुझे व्यक्तिगत नुकसान से उबरना होगा।”

ये बयान आसनसोल दँगोँ में अपने जवान बेटे को खोने वाले बाप के हैं जो खुद पेशे से मस्जिद का इमाम है जिसने अपनी आँखों सामने बेटे को क़त्ल होते हुए देखा है और जवान बेटे को काँधा दिया है ,उसको क़ब्र में उतारा है,क्योंकि किसी भी बाप का लिए सबसे मुश्किल काम औलाद के जनाज़े को काँधा देना होता है।

लेकिन मस्जिद में इमामत करने वाले मौलाना सिबतुल्लाह राशिदी ने जिस प्रकार का धीरज दिखाया है वो बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है,मौलाना की बात सुनकर लोगों की आँखों मे आँसू निकल पड़े हैं,मौलाना का मनावतावादी चेहरा जनता के सामने आया है जिसको हर कोई पसन्द कर रहा है।

मौलाना ने इस मुश्किल घड़ी में जिस प्रकार से बुद्धि और विवेक का प्रयोग किया है वो वास्तव में भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधत्व करने वाला है,इसी लिये भारत के मशहूर पत्रकार रवीश कुमार ने भी इनकी जमकर प्रशंशा करी है।

पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने तो भारतीय मुसलमानों को शाँति पुरुस्कार देने की बात कही है ,अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए भट्ट ने लिखा है कि “अगर पूरे समुदाय को नॉबेल शांति पुरस्कार दिया जासकता है,तो मेरा वोट भारतीय मुसलमानों को जाएगा।क्योंकि जो कुछ भी धार्मिक सद्भावना हमें भारत मे देखने को मिल रही है वो इस वजह से है कि मुसलमानों अपने साथ होने वाले भेदभाव और नफरत के बावजूद रिएक्शन से अपने आपको रोक रखा है”

संजीव भट्ट ने बिल्कुल सत्य लिखा है भारत में मुसलमान किसी भी बड़ी से बड़ी घटना के बाद कोई भी उग्र प्रतिक्रिया नही देते हैं इसी कारण से भारत में शाँति है ,अगर मुसलमान बीजेपी और संघ के हमलों का जवाब देने लगें और सड़कों पर उतर आयें तो भारत नर्क बन जायेगा।

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