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भारत-कनाडा राजनयिक संकट : यहां जानिए हर पहलू के बारे में जानकारी, ऐसी चीजों जिन पर पड़ेगा असर!

भारत-कनाडा राजनयिक संकट के बीच ब्रिटेन ने कहा

खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत और कनाडा के राजनयिक संकट के बीच ब्रिटेन ने कहा है कि वो नई दिल्ली के साथ अपनी व्यापार वार्ता जारी रखेगा.

इससे पहले ब्रिटिश सरकार के एक प्रवक्ता ने जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को ‘गंभीर’ बताते हुए कहा था कि, “हम कनाडा के साथ करीबी संपर्क बनाए हुए हैं.”

हालांकि ब्रिटेन ने ये भी कहा है कि कनाडा की सरकार फिलहाल निज्जर की हत्या के मामले की जांच कर रही है. इसलिए इस मामले पर और कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत के साथ व्यापार वार्ता पहले की तरह जारी रहेगी.

उन्होंने ये भी कहा कि ब्रिटिश सरकार अन्य मुद्दों के साथ व्यापार वार्ता को मिलाना नहीं चाहती है.

अगर भारत की संलिप्तता साबित होती है तो ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन होगा: कनाडा की विदेश मंत्री

कनाडा की विदेश मंत्री मेलीन जोली ने इस बात की पुष्टि की है कि कनाडा ने भारत के एक शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया है.

उन्होंने कहा, “कनाडा की धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या में विदेशी सरकार के एजेंटों के शामिल होने का आरोप परेशान करने वाला है. ये कुछ ऐसा है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.”

जोली ने कहा, “अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो ये हमारी संप्रभुता का बहुत बड़ा उल्लंघन है. और ये उस नियम का भी उल्लंघन है कि एक देश दूसरे देश से कैसे पेश आते हैं. हमने ये स्पष्ट कर दिया है कि हम किसी भी तरह का विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे.”

जोली ने निज्जर के परिवार के प्रति संवेदनाएं भी प्रकट की.

कनाडा में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कैसे हुई थी?

कनाडा में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को हत्या कर दी गई थी. ये हत्या ब्रिटिश कोलंबिया के शहर सरे में हुई थी.

18 जून की शाम कनाडा की पुलिस को उनका शव मिला था, जिस पर कई गोलियों के निशान थे. स्थानीय पुलिस ने तब बताया था कि उनकी हत्या नकाब पहने दो लोगों ने की है.

उनकी उम्र 45 साल थी. वो सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के अध्यक्ष थे और खालिस्तान बनाने के लिए सार्वजनिक तौर पर अभियान चला रहे थे.

1997 में वो पंजाब से कनाडा चले गए थे. पहले तो वहां उन्होंने प्लंबर के तौर पर काम किया और बाद में ब्रिटिश कोलंबिया में वो सिख नेता बन गए थे.

भारत ने 2020 में उन्हें खालिस्तान टाइगर फोर्स से कथित संबंध रखने के आरोप में आतंकवादी घोषित किया था. ये ऐसा समूह है जो खालिस्तान देश की मांग कराने के लिए अभियान चला रहा है.

खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर के बेटे जस्टिन ट्रुडो के बारे में क्या बोले

खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा के बयान के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते में दूरियां बढ़ गई हैं.

सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने आरोप लगाया है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है. ट्रुडो के इस बयान पर अब निज्जर के बेटे बलराज निज्जर की प्रतिक्रिया आई है.

कनाडा के ग्लोबल न्यूज़ के अनुसार, बलराज ने कहा, “वो ट्रुडो के बयान से चौंक गए क्योंकि परिवार को अब तक यही लगता था कि हत्या के तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.”

उन्होंने कहा, “ये अच्छी बात है कि मिस्टर ट्रुडो और कनाडा के अन्य नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया.”

ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में बलराज निज्जर ने कहा कि इस मौत से परिवार सदमे में था.

उन्होंने कहा, “आप कभी ये नहीं सोच पाते हैं कि आपके परिवार के साथ ऐसा होगा. अगर उम्र के लिहाज से भी सोचें तो वो मात्र 45 साल के थे. अगर उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से मौत होती तो परिवार के लिए विश्वास कर पाना आसान होता लेकिन जिस तरह से उनकी मौत हुई, उस पर विश्वास करना कठिन है.”

हरदीप सिंह निज्जर के मामले में कनाडा के आरोपों पर क्या बोला ऑस्ट्रेलिया, भारत से क्या कहा…

ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि खालिस्तानी सिख नेता की हत्या के मामले में कनाडा ने भारत पर जो आरोप लगाए हैं, उसे लेकर वो ‘बेहद चिंतित’ है.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को देश की संसद में कहा कि उन्होंने नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुलाकात में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला उठाया था.

उन्होंने कनाडा के सांसदों से कहा, “कनाडा की ज़मीन पर कनाडा के नागरिक की हत्या में किसी विदेशी सरकार का शामिल होना हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है और ये अस्वीकार्य है.”

ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेन्नी वॉन्ग के प्रवक्ता ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया इन आरोपों को लेकर बेहद चिंतित है और इस मामले की चल रही जांच पर वो नज़र बनाए हुए है.”

उन्होंने कहा, “हम इस घटनाक्रम पर अपने सहयोगी देशों के साथ क़रीबी संपर्क बनाए हुए हैं. हमने भारत में उच्चतम स्तर पर अपनी चिंताओं के बारे में बताया है.”

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को हत्या कर दी गई थी.

कनाडा-भारत के राजनयिक टकराव पर अमेरिका के बाद आई ब्रिटेन की प्रतिक्रिया

कनाडा और भारत के बीच चल रहे राजनयिक टकराव पर ब्रिटेन ने मंगलवार को कहा है कि वो अपने कनाडाई सहयोगी के साथ करीबी संपर्क बनाए हुए हैं.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को देश की संसद में कहा कि उन्होंने नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुलाकात में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला उठाया था.

उन्होंने कनाडा के सांसदों से कहा, “कनाडा की ज़मीन पर कनाडा के नागरिक की हत्या में किसी विदेशी सरकार का शामिल होना हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है और ये अस्वीकार्य है.”

ब्रिटिश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “इन गंभीर आरोपों को लेकर हम कनाडा के साथ करीबी संपर्क बनाए हुए हैं.”

हालांकि ब्रिटेन ने ये भी कहा है कि कनाडा की सरकार इस मामले की फिलहाल जांच कर रही है. इस मामले पर और कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.

ब्रिटेन से पहले मंगलवार को व्हाइट हाउस ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को ‘बेहद चिंताजनक’ बताया था.

भारत ने पहले ही निज्जर की हत्या में अपनी किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है. मंगलवार को भारत ने कनाडा पर आरोप लगाया कि वो भारत की सुरक्षा को धमकी देने वाले ‘खालिस्तानी चरमपंथियों और आतंकवादियों’ को पनाह दे रहा है.

दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को अपने यहां से निष्कासित करने का फ़ैसला भी किया है.

भारत और कनाडा के ख़राब होते रिश्तों का इन चीजों पर पड़ सकता है असर

खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा के भारत पर लगाए आरोप के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. इसका असर कारोबारी रिश्तों पर भी पड़ रहा है.

सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने आरोप लगाया है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है.

इसके बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निकाल दिया. इसके जवाब में भारत ने मंगलवार को कनाडा के राजनयिक को निष्कासित कर दिया.

भारत ने इस आरोप को ख़ारिज किया है और कहा है कि कनाडा अपनी जमीन पर भारत विरोधी तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे. दोनों देशों के बीच संबंध खराब होने से कई चीजें दांव पर हैं.

यहां जानिए ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में-

कनाडा ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि उसने भारत के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर होने वाली बातचीत रोक दी है. जबकि तीन महीने पहले ही दोनों देशों ने कहा था कि वे इस साल इस बारे में शुरुआती समझौते को अंजाम दे देंगे. इस बारे में उद्योग जगत का अनुमान था कि ‘कॉम्प्रिहेंसिव इकोनोमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए)’ से द्विपक्षीय व्यापार में 6.5 अरब अरब डॉलर की वृद्धि होती और कनाडी की जीडीपी में 2035 तक 3.8 अरब

डॉलर से 5.9 अरब डॉलर की वृद्धि हो सकती थी.
दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़कर 2022 में आठ अरब डॉलर तक हो गया. भारत का कनाडा में निर्यात चार अरब डॉलर का है जबकि आयात भी इतने ही डॉलर का है. भारत में आयातित दाल की मांग में वृद्धि से कनाडा के किसानों को फ़ायदा पहुंचा है जबकि भारत की दवा और सॉफ्टवेयर कंपनियों ने कनाडा में अपने पांव पसारे हैं. कनाडा से आयात होने वाली चीजों में कोल, कोक, ब्रिकेट (कोयले की ईंट), खाद समेत कई अन्य चीजें हैं जबकि भारत कपड़े, ऑटो पार्ट्स, एयरक्राफ़्ट उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्यात करता है.

भारत कनाडा संबंध

अगर निवेश की बात करें तो कनाडा भारत में निवेश करनेवाला 17वां बड़ा देश है. 2000 के बाद से अब तक कनाडा ने 3.6 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि भारत के स्टॉक मार्केट और डेट मार्केट में कनाडा के पोर्टफोलियो इंवेस्टरों ने अरबों डॉलर के निवेश किए हुए हैं. कनाडा पेंशन फंड ने भारत के बाजार में करीब 15 अरब डॉलर का निवेश रियल इस्टेट, फाइनेंशियल सेक्टर समेत कई अन्य चीजों में किया हुआ है.

दोनों देश के बीच कारोबार से कॉर्पोरेट कंपनियों को काफी फ़ायदा हुआ है. बॉम्बार्डियर और एसएनसी लावलीन की भारत के बाज़ार में अच्छी पकड़ है जबकि भारत की 30 से ज़्यादा कंपनियां-टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो ने कनाडा में अरबों डॉलर के निवेश किए हैं और इससे हजारों लोगों को नौकरियां मिली हैं.

2018 के बाद से कनाडा में पढ़ने आने वाले विदेशी स्टूडेंट्स में भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ी है. 2022 में स्टूडेंट्स की संख्या में करीब 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई और ये संख्या 320,000 तक पहुंच गई.

कई विश्लेषकों को मानना है कि दोनों देशों के बीच खराब होते रिश्ते का असर भारत में सिख बहुसंख्यक राज्य पंजाब के हजारों सिख परिवार पर पड़ सकता है. बड़ी संख्या में इस राज्य की सिख आबादी कनाडा में रहती है जो अपने परिवार को पैसे भेजती है. कनाडा में सिख समुदाय की संख्या पिछले 20 वर्षों में बढ़ी है. कनाडा की कुल आबादी का ये दो प्रतिशत हिस्सा हैं.

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