हिंदी सिनेमा के प्रशंसकों में गिनती के ही होंगे ऐसे जिन्होंने सुपरहिट फिल्म ‘शोले’ नहीं देखी होगी, और ‘भाग धन्नो भाग…. आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है’ इस संवाद को सुनते ही आंखों के सामने हेमा मालिनी नहीं घूमता होगा। इस दृश्य में बसंती को गब्बर सिंह के साथियों से बचने की कोशिश करते देखा जाता है। वह अपने तांगे को बहुत तेज दौड़ाती है। तांगा पत्थर से टकराकर उछल जाता है। और, बसंती तांगे समेत धड़ाम! सिनेमा हॉल में इस सीन के लिए हेमा मालिनी को खूब तालियां मिलीं लेकिन जब तांगा पत्थर से टकराता है और उछल कर जमीन पर गिरता है तो तांगे में हेमा मालिनी नहीं उनकी जगह स्टंट कर रहीं रेशमा पठान होती हैं। ‘इस सीन में एक नकली चक्का लगना था लेकिन किसी ने गलती से असली चक्का लगा दिया। असली चक्के में एक पट्टी होती है, जिससे वो टूटता नहीं है और, यही हुआ। चक्का नहीं टूटा और तांगा उछल गया। पहले मैं जमीन पर गिरी और फिर मेरे ऊपर तांगा गिरा।’, बॉलीवुड की पहली स्टंट वूमन रेशमा पठान, एक खास बातचीत में बताती हैं।
So proud that the first ever Extraordinary Achievement Award at the #CriticsChoiceFilmAwards (CCFA) was presented to ‘India’s first stuntwoman’ Reshma Pathan. How fitting that Sholay writer Javed Akhtar & director Ramesh Sippy did the honors pic.twitter.com/smgfksc55u
— Rajeev Masand (@RajeevMasand) April 21, 2019
जानते हैं रेशमा पठान की कहानी उन्हीं की जुबानी…
हेमा मालिनी का आशीर्वाद
‘पुराने जमाने की अभिनेत्रियों की बात करूं तो मैं निरूपा रॉय और दुर्गा खोटे जैसी कई अभिनेत्रियों की बॉडी डबल (स्टंट सीन में मुख्य कलाकारों की जगह काम करने वाले कलाकारों को बॉडी डबल कहा जाता है) का काम कर चुकी हूं। लेकिन, ‘शोले’ से मेरी अलग पहचान बन गई। हेमा जी खुद मुझे निर्माताओं को फिल्म में लेने का सुझाव देती थीं। उनको लगता था कि मैं उनसे ज्यादा मैच होती हूं और स्टंट सीन में किसी को पता नहीं चलता कि परदे पर हेमा जी हैं या मैं। उनका मुझे इतना स्नेह मिला कि अगर किसी फिल्म की शूटिंग में वह किसी और बॉडी डबल को देखती थी तो मेरे बारे में पूछती थी और जब तक मैं शूटिंग पर नहीं पहुंचती तब तक वह शूटिंग नहीं करती थीं।’
Sridevi
@SrideviKapoor
#Sridevi with her stunt double Reshma Pathan on the sets of the film Ghar Sansar
पांच सौ से ज्यादा फिल्मों में काम
हेमा मालिनी की बॉडी डबल के रूप में मैंने ‘प्रतिज्ञा’, ‘चाचा भतीजा’, ‘रामकली’, ‘हम तेरे आशिक’, ‘अली बाबा चालीस चोर’ जैसी तमाम फिल्मों में काम किया है। उनके साथ इतनी फिल्में कर चुकी हूं कि अब तो गिनती भी याद नहीं। सारी फिल्मों को गिनने बैठूं तो पांच सौ से ज्यादा फिल्में तो होंगी ही। मैंने मीना कुमारी, आशा पारेख, परवीन बॉबी, वहीदा रहमान, जीनत अमान, रेखा, मौसमी चटर्जी, नीतू सिंह, श्रीदेवी, अमृता सिंह और फरहा जैसी कई अभिनेत्रियों के बॉडी डबल का काम किया है। इस काम के लिए मैंने तांगा चलाने से लेकर घुड़सवारी करने, ऊंची इमारत से छलांग लगाने, तलवारबाजी करने, रस्सी पर चलने, चलती गाड़ी से कूदने आदि के सीन किए हैं। मेरे आने से पहले हीरोइनों के इस तरह के स्टंट हिंदी फिल्मों में लड़कियों के कपड़े पहनकर स्टंटमैन किया करते थे।’
पांच महीने का गर्भ और लगा दी छलांग
‘बात अमृता सिंह तक आ गई है तो मैं बता दूं कि उनकी फिल्म ‘सीआईडी’ के एक सीन के लिए मैंने जोश जोश में पहली मंजिल से छलांग लगा दी थी। तब इतनी अक्ल ही नहीं थी। ये स्टंट मैंने तब किया, जब मेरे पेट का बच्चा पांच महीने का हो चुका था। सीन कुछ यूं था कि गुंडे अमृता सिंह और विनोद खन्ना का पीछा करते हैं। दोनों इमारत की छत से छलांग लगा देते हैं। अमृता सिंह का बॉडी डबल मैं कर रही थी और मैंने छत की पहली मंजिल से छलांग लगा दी। उस समय तो पता नहीं चला लेकिन बाद में जब थोड़ी सी तकलीफ हुई और डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने कहा भगवान जिसको बचाना चाहें उसे कोई मार नहीं सकता और जिसको मारना चाहें उसे कोई बचा नहीं सकता। उस वक्त जिस बच्चे की जान पर बन आई थी, वह मेरा बेटा आज खुद एक डॉक्टर है।’

स्टंट निर्देशक अजीम ने पहचाना हुनर
‘स्टंट के काम की शुरुआत एक दिन अचानक ही हो गई। हम तब बहुत गरीब थे और घर का खर्च चलाने के लिए मैं राह चलते लोगों के मनोरंजन के लिए रस्सी पर कलाबाजियां दिखाया करती थी। पूरा दिन जान जोखिम में डालने के बाद भी दिन भर में कभी चार आना तो कभी आठ आने की कमी होती थी। स्टंट निर्देशक एस अजीम ने मुझे देखा और वही मेरे इस पेशे के गुरु बने। उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं का काम करना शर्मनाक पेशा समझा जाता था। मेरे पिता ने भी पहले पहल इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।’
मेरा पहला एक्शन सीन
‘किसी तरह पिता को समझा बुझाकर मैं अपनी मां के साथ पहले दिन फेमस स्टूडियो में जिस फिल्म की शूटिंग पर गई, वह फिल्म थी ‘एक खिलाड़ी बावन पत्ते‘। वहां एक लड़का उस वक्त की नामचीन हीरोइन लक्ष्मी छाया का बॉडी डबल बनकर स्टंट दृश्य की शूटिंग कर रहा था। 15 टेक हो गए लेकिन वह लड़का जैसा चाहिए था, वैसा शॉट नहीं दे पाया। एक्शन डायरेक्टर अजीम ने फिर मुझ पर दांव खेला। मुझे उन्होंने सीन समझाया। कैमरे के सामने किस कोण से एंट्री करनी है। कहां से एक्शन लेना है और कहां तक फॉलोअप में जाना है, ये सब मैंने समझा और पहले टेक में ही परफेक्ट शॉट दे दिया। यह देखकर पूरा सेट तालियों से गूंज उठा। बस यहीं से मेरे नाम का जिक्र फिल्म इंडस्ट्री में शुरू होता है।’