भारत में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने क़ानून मंत्री किरन रिजिजू को नए सीजेआई के नाम की सिफ़ारिश करते हुए जस्टिस यूयू ललित का नाम पेश किया है।
CJI रमना 26 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस ललित 27 अगस्त को CJI के रूप में शपथ ले सकते हैं। हालांकि, जस्टिस ललित भी महज 74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे, क्योंकि 8 नंवबर को वे रिटायर हो जाएंगे।
जस्टिस यूयू ललित ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। यदि वह अगले CJI नियुक्त होते हैं तो वह ऐसे दूसरे CJI होंगे, जिन्हें बार से सीधे SC की पीठ में पदोन्नत किया गया। उनसे पहले जस्टिस एस. एम. सीकरी मार्च 1964 में SC की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे। वह जनवरी 1971 में 13वें CJI बने थे।
भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर न्यायपालिका का महत्व बहुत ज़्यादा है और इसे लोकतंत्र का तीसरा मज़बूत स्तंभ माना जाता है। भारत में न्यायपालिक के कांधों पर भारी ज़िम्मेदारियां होती हैं और उसके प्रति देश की जनता और संस्थाओं में काफ़ी विश्वास और सम्मान पाया जाता है।
भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका को मज़बूत और आज़ाद रखने के लिए बड़े इंतेज़ामात किए गए है हालांकि बीच बीच में यह आरोप भी लगते रहे हैं कि न्यायपालिका की स्वाधीनता प्रभावित हुई है मगर कुल मिलाकर यह विचार आम है कि यह संस्था काफ़ी मज़बूत है और देशवासियों को उससे न्याय की उम्मीद रहती है।
बाबरी मस्जिद सहित न्यायपालिका के अनेक फ़ैसले काफ़ी चर्चा में रहे और कुछ लोगों ने उसे माना तो ज़रूर मगर असंतोष भी ज़ाहिर किया। तीन विवादित क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के समय भी सरकार के प्रति सुप्रीम कोर्ट के बर्ताव पर कुछ गलियारों ने नकारात्मक टिप्पणी की थी।