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भारत में लगातार मुसलमानों पर दक्षिणपंथी हिंदुओं के हमलों से सऊदी अरब और भारत के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है?

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद मोहम्मद बिन सलमान नवंबर के पहले हफ़्ते में भारत की यात्रा करने वाले थे।

अचानक 12 नवंबर को ख़बर आई कि सऊदी क्राउन प्रिंस भारत नहीं जायेंगे। सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि उनकी संभावित भारत यात्रा के लिए नई तारीख़ों का भी एलान नहीं किया गया।

हालांकि उन्होंने नवम्बर के मध्य में दक्षिण कोरिया का दौरा किया और वहां कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए।


इस बीच ख़बर आई कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दिसम्बर के दूसरे हफ़्ते में सऊदी अरब के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंच रहे हैं।

यहां यह सवाल किया जा रहा है कि ऐतिहासिक रूप से दोस्त देश समझे जाने वाले भारत और सऊदी अरब के बीच क्या सब कुछ ठीक चल रहा है?

भारत में 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा था और सऊदी सरकार ने मोदी को सबसे बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया था।

लेकिन भारत में लगातार मुसलमानों पर दक्षिणपंथी हिंदुओं के हमलों से क्षेत्र में भारत की छवि बदलने लगी और दक्षिपंथी हिंदुओं को सरकार के खुले समर्थन ने हालात को और गंभीर बना दिया।

इसी साल जून के महीने में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैग़म्बरे इस्लाम को लेकर एक अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिस पर सऊदी अरब समेत कई मुस्लिम देशों ने आधिकारिक रूप से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।

दर असल, चीन न सिर्फ़ सीमाओं पर भारत के लिए चुनौतियां खड़ी कर रहा है, बल्कि क्षेत्र में भी वह भारत को कहीं पीछे धकेलता जा रहा है। मध्य-पूर्व के हर देश में चीन बड़ा ट्रेड पार्टनर बन कर उभरा है। इस इलाक़े में चीन की कंपनियों ने कई अनुबंध किए हैं और यह निवेश के अहम स्रोत हैं।