देश

भड़के दँगोँ में जवान बेटे की मौत पर शहर को जलने से बचाने वाले इमाम ने सरकारी पुरस्कार लेने से मना किया

नई दिल्ली: पिछले दिनों रामनवमी के अवसर पर बिहार बंगाल सहित अन्य जगहों पर भड़के दँगे की आग में शहर आसनसोल की मस्जिद के इमाम का बेटा दँगाइयों के द्वारा मारा गया था,जिसके बाद शहर का माहौल खराब होने लगा तो मस्जिद के इमाम ने भड़की भीड़ को शाँत करने का काम किया था,और शहर को जलने और दँगोँ को भड़कने से रोका था जिसके बाद उनकी हर किसी ने प्रशंसा करी थी।

वेस्ट बंगाल सरकार दँगोँ में शाँतिप्रिये योगदान देने पर और शहर को जलने से बचाने के लिये सरकार की और से बंगा भूषण पुरुस्कार”देने का ऐलान किया था,रमज़ान उल मुबारक के महीने में पुरुस्कार दिया जाना था जिसको लेने से मौलाना इमदादुल राशिदि ने मना कर दिया है और कहा है कि रमज़ान उल मुबारक में इबादत में मशगूल होने के कारण कोलकत्ता यात्रा करने असमर्थ हैं।

मौलाना ने कहा कि रमजान इबादत का महीना है और वह इस महीने में इबादत के अलावा अन्य किसी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते। इसलिए वह बंगाल सरकार की ओर से पुरस्कार लेने नहीं जा रहे हैं।

गौरतलब है कि आसनसोल दंगे में मौलाना राशिदी ने अपना जवान बेटे को खो दिया था। जबकि उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर मेरे की वजह से हिंसा भड़का तो मैं शहर छोड़ कर चला जाऊंगा और कभी नहीं लौटूंगा।

इस पूरे मामले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनकी प्रतिबद्धता और मनोबल को सराहते हुए मौलाना की शांति अपील से प्रभावित होकर उन्हें बंगा भूषण पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया था लेकिन रमज़ान की वजह से वह इसे प्राप्त नहीं कर कर पाएंगे।