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मणिपुर के हालात ख़राब, पुलिस की वर्दी और हथियारों में घूम रहे हैं आम लोग : रिपोर्ट

मणिपुर में पुलिसकर्मियों की वर्दी पहनकर घूमने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों की रिहाई की मांग को लेकर एक हिंसक भीड़ द्वारा एक थाने पर हमले के एक और प्रयास के बाद अधिकारियों ने गुरुवार से इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम ज़िलों में कर्फ़्यू प्रतिबंध बहाल कर दिया।

इससे पहले सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक कर्फ्यू में छूट रहती थी। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा है कि इन पांचों लोगों के पास पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए अत्याधुनिक हथियार थे और उन्होंने पुलिसकर्मियों का वेश बना रखा था, पांचों लोगों पर कड़े ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए गए हैं।

मेईतेई महिलाओं के प्रभावशाली समूह मीरा पाइबीस ने, जो मौजूदा संघर्ष के दौरान निगरानीकर्ताओं के तौर पर लगे हैं, इससे पहले इन युवकों की गिरफ़्तारी के विरोध में 48 घंटे के पूर्ण बंद का आह्वान किया था। गिरफ्तारी के दिन भी भीड़ ने उस पुलिस स्टेशन पर धावा बोलने की कोशिश की थी जहां उन्हें रखा जा रहा था।

मेईतेई समूहों ने दावा किया है कि पांचों व्यक्ति ‘वालंटियर’ हैं। गुरुवार को प्रदर्शन करती भीड़ ने कथित तौर पर नारे लगाते हुए कहा कि अगर उन सभी ग्राम रक्षा वालंटियर्स को गिरफ्तार किया जा रहा है तो उन्हें भी हिरासत में लिया जाए।

गुरुवार को महिलाओं के नेतृत्व में निगरानी समूहों ने विभिन्न थानों को निशाना बनाया। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, विशेष रूप से इंफ़ाल पश्चिम के सिंगजामेई थाने में स्थिति बिगड़ी, जहां प्रभारी अधिकारी के आवास में भी तोड़फोड़ की गई।

लाइव मिंट की रिपोर्ट बताती है कि जब मणिपुर सुरक्षा बलों और आरएएफ़ कर्मियों ने थानों पर हमला करने की कोशिश कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के

पुलिस ने कहा है कि वह गिरफ़्तार लोगों को रिहा नहीं कर सकती क्योंकि उनके पास से हथियार बरामद हुए हैं और उन पर कई आरोप हैं।

मणिपुर में चार महीने से जारी हिंसा के बीच बीते दिनों राज्य सरकार ने बताया था कि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 175 लोग मारे गए हैं, 1,118 घायल हुए हैं और 33 अभी भी लापता हैं। पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा की शुरुआत के बाद से राज्य के शस्त्रागारों से 5,668 हथियार लूटे गए हैं, जिसमें से सुरक्षा बलों ने 1,329 को बरामद किया है।