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मणिपुर में जब कुकी महिलाओं के साथ बर्बरता हो रही थी तो वहां पर पुलिस मौजूद थी, वे मूक दर्शक बने रहे : रिपोर्ट

मणिपुर में शर्मनाक घटना के बीच मणिपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। हिंसा की शिकार हुईं कुकी महिलाओं ने एक वीडियो में दावा किया है कि जब उनके साथ यह बर्बरता हो रही थी तो वहां पर पुलिस मौजूद थी। लेकिन पुलिस ने उनकी किसी तरह की कोई मदद नहीं की, बल्कि वे मूक दर्शक बने रहे। महिलाओं का दावा है कि भीड़ ने उन्हें घेरकर सुनसान जगह ले जाकर यातनाएं दीं। हमलावरों में से एक ने और लोगों को यातना में शामिल होने के लिए बुलाया था। इसके साथ ही पीड़ितों ने दावा किया कि कुछ मैतेई लोगों ने उनको बचाने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।

सूत्रों के मुताबिक की शिकार हुईं दोनों कुकी महिलाओं ने दावा किया कि पुलिस घटनास्थल पर मौजूद थी, लेकिन पुलिस ने न तो हस्तक्षेप किया और न ही उनकी मदद की। हिंसा की शिकार एक महिला ने कहा, मणिपुर पुलिस ने घटना के दौरान उनकी कोई सहायता नहीं की। दूसरी महिला ने दावे की पुष्टि करते हुए कहा, उसने एक कार में चार पुलिसकर्मियों को देखा था, जिन्होंने उनकी कोई सहायता नहीं की। पुलिस मूक दर्शक बनी रही। उल्लेखनीय है कि यह सिर्फ महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हमला नहीं था, भीड़ के हमले में एक पीड़िता के पिता और भाई की जान चली गई है।

सूत्रों के मुताबिक यह घटना 4 मई की बताई जा रही है। कांगपोकपी जिले के बी फीनोम गांव के निवासियों को उनके मैतेई पड़ोसियों ने पहले चेतावनी दी थी। कुकी ग्रामीणों ने गांव से भागने का प्रयास किया, लेकिन वीडियो में कैद दो महिलाओं के परिवार भागने में असमर्थ रहे और भीड़ की क्रूरता का शिकार हो गए। पुलिस में दर्ज आधिकारिक शिकायत से पता चला कि हमले के दौरान मैतेई भीड़ अत्याधुनिक हथियारों से लैस थी।

दहशत के बीच, पीड़ित महिलाओं ने स्वीकार किया है कि मैतेई समुदाय के कुछ सदस्यों ने उनकी मदद करने की कोशिश की थी। लेकिन वे उसमें सफल नहीं हो सके। वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे, जो वास्तव में उनकी रक्षा करना चाहते थे और उन्हें आगे होने वाले नुकसान से बचाना चाहते थे। जबकि कुछ ने उनसे जोर-जबरदस्ती कर कपड़े उतारने को कहा। वे गिड़गिड़ाती रहीं, लेकिन क्रूर और निर्दयी लोगों ने उनकी एक नहीं सुनी।