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मराठा सरदार की ”सेना” नहीं कर सकी ”संघ” का ”सामना” : अब क्या करेंगे उद्धव ठाकरे?

 

महाराष्ट्र में 10 दिन से जारी सियासी उठापटक अब थम चुका है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि अब उद्धव ठाकरे का क्या होगा?

उद्धव के विधायक भी उनका साथ छोड़ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से भी फिलहाल उनके गुट को कोई राहत मिलते हुए नहीं दिख रही है। ऐसे में अब उद्धव क्या करेंगे? कैसे वह शिवसेना को फिर से एकजुट करेंगे? क्या बागी विधायकों को मनाने में अब वह कामयाब होंगे? या ये दरार बढ़ती ही जाएगी? आइए जानते हैं…

अब क्या करेंगे उद्धव?
ये जानने के लिए महाराष्ट्र की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप रायमुलकर से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘गुरुवार को एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे की पहली प्रतिक्रिया आई। ठाकरे ने उन्हें बधाई दी। उधर, आज महाराष्ट्र के कई मराठी अखबारों में पहले पन्ने पर विज्ञापन प्रकाशित हुआ है। इसमें एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के साथ एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं तो दूसरी ओर बाला साहेब ठाकरे, उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे भी हैं। मतलब साफ है कि शिवसेना के दोनों गुट में एक-दूसरे के प्रति अभी ज्यादा गुस्सा नहीं है।’

रायमुलकर आगे तीन बिंदुओं में बताते हैं कि उद्धव के पास अब क्या-क्या विकल्प है?

1. बागी विधायकों से समझौता : शिंदे गुट के बयानों से साफ है कि वह शिवसेना तोड़ना नहीं चाहते हैं। शिंदे गुट जो चाहता था, वो पूरा हो चुका है। भाजपा के साथ मिलकर सरकार बन चुकी है। ऐसे में संभव है कि उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट के बीच समझौता हो जाए।

2. शिंदे गुट को अलग कर दें : उद्धव शिंदे गुट को शिवसेना से अलग कर सकते हैं। हालांकि, इसकी संभावना कम ही दिखती है। शिंदे गुट इस वक्त मजबूत है। सरकार में आने के बाद ये भी संभावना है कि अन्य शिवसेना नेता और सांसद भी शिंदे गुट में शामिल हो जाएं। ऐसी स्थिति में शिवसेना पर शिंदे गुट का दावा ज्यादा मजबूत हो सकता है।

3. कानूनी लड़ाई लड़ें : अगर उद्धव ठाकरे और शिंदे में बात नहीं बनती है तो संभव है कि उद्धव अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखें। अभी शिंदे गुट पर कार्रवाई और फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर है। आगे पार्टी पर दावेदारी को लेकर भी दोनों गुट याचिका दायर कर सकते हैं। उद्धव पहले ही शिंदे गुट को चेतावनी दे चुके हैं कि वह बाला साहेब के नाम का जिक्र न करें।

क्या बोले उद्धव ठाकरे?
सत्ता से हटाए जाने के बाद उद्धव ठाकरे पहली बार मीडिया के सामने आए। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘ये जो कल हुआ, मैंने पहले ही अमित शाह से कहा था कि ढाई साल तक शिवसेना का मुख्यमंत्री हो और वही हुआ। पहले ही अगर ऐसा करते तो महा विकास अघाडी का जन्म ही नहीं होता। अगर मेरी बात मानी होती तो ढाई साल बीजेपी का मुख्यमंत्री रहता, अब 5 साल तक बीजेपी का मुख्यमंत्री होने वाला नहीं है।’

अब तक क्या-क्या हुआ?
20 जून को एमएलसी चुनाव में शिवसेना के कई विधायकों ने भाजपा के उम्मीदवार को वोट किया। यहीं से विवाद शुरू हुआ। एक दिन बाद यानी 21 जून को ही उद्धव ठाकरे से नाखुश चल रहे विधायकों सूरत चले गए। इन विधायकों का नेतृत्व कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे थे। यहां से ये सभी गुवाहाटी पहुंचे। इन विधायकों को मनाने के लिए 22 जून को शिवसेना प्रमुख के कहने पर तीन नेताओं का प्रतिनिधिमंडल बागी विधायकों से मिलने पहुंचा। हालांकि कुछ बात नहीं बनी।

इसके बाद करीब छह दिन बाद शिंदे गुट को मनाने के लिए उद्धव जुटे रहे, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। इस बीच, उद्धव ठाकरे गुट की शिकायत पर डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दे दिया। इसके खिलाफ शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की कार्रवाई पर 12 जुलाई तक रोक लगा दी। उधर, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी। राज्यपाल ने भी इसके लिए आदेश जारी कर दिया। हालांकि, इसके पहले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद भाजपा के सपोर्ट से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए।