साहित्य

* माँ की ममता *……..दुल्कान्ति समर सिंह, श्रीलंका निवासी लेखिका की कविता पढ़िये!

Dulkanthi Samarasinghe

Kalutara South
Sri Lanka
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* माँ की ममता *
सागर की गोद में, अनेक नदियाँ सोती हैं
सागर ने कभी नदी को अस्वीकार नहीं किया
हर माँ की ममता भी समुद्र की गोद जैसी है
हर माँ की ममता भी रात की चाँदनी जैसी है
सरिता समुद्र में ही जाती
सत्वों को माँ पसंद होती
अम्मा की ममता के झूले में
सारी दुनिया झूलती
दुःख के बादल के पीछे
जब चंदा छिप जाता है
चाँदनी देखने की आशा
छोड़ देना होगा ज़रूर
अगर करता है कोई अपनी पत्नी की निंदा ,
उसके बच्चे करेंगे अपने पापा की निंदा
महिला की निंदा करते तो सावधान होना होगा
उसके बच्चे भविष्य में करेंगे तुम्हारी निंदा
अपने बच्चों की मां भी माँ है
अपनी पत्नी की माँ भी माँ है
अपने पति की माँ भी माँ है
हर सत्वों की माँ भी माँ है
लेमुरीया का बच्चा माँ को लगती है मणि जैसी
चींटी का बच्चा भी माँ को है, चीनी जैसी
गंदा घेंटा, घेंटे की माँ को लगती है खुशबू
बच्चों के लिए माँ की ममता , अपनी आँख जैसी।।।
[ दुल्कान्ति समरसिंह ] ✍️