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यूं ही खुले अंबर के नीचे कभी……पूजा भूषण झा कवयित्री की रचना पढ़िये!
पूजा भूषण झा, वैशाली, बिहार =========== हां तुम और मैं….✍️✍️(नई रचना) यूं ही खुले अंबर के नीचे कभी दूर तक खुली मैदान के बीच बैठकर हम दोनों घंटों तक साथ हो कभी चांदनी रात में और बात करते रहें निरंतर तुम और मैं, हां तुम और मैं। कुछ दुख अपना बांटे तुमसे कुछ सुख की […]
सुख की कुंजी….By-सनाउल्लाह ख़ान अहसान
सनाउल्लाह खान अहसान karachi, pakistan ============= सुख की कुंजी कल रात एक ऐसी घटना घटी जिसने जीवन के कई पहलुओं को छुआ। शाम के करीब सात बजे होंगे। मोबाइल फोन बज उठा। उठाया तो यहां से रोने की आवाज आई। बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हें चुप करवाया और पूछा क्या हुआ भाभी? उधर से आवाज […]
वीरांगनाएं पैदा नहीं होती, वीरांगनाएं पैदा की जाती हैं!!
Shikha Singh ========= वीरांगनाएं पैदा नहीं होती वीरांगनाएं पैदा की जाती हैं। जिस तरह नृत्यांगना पैदा नहीं होती बानाई जाती हैं। स्त्री के साहस और उसकी कला को प्रखर करने के लिये पुरुष को भी साथ देना होता है। जिस तरह अपने मनोरंजन के लिये उसका साथ प्राप्त करते हो तुम ,उसी तरह उसकी कला […]