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माकपा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर अमित शाह पर त्रिपुरा में चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया!

नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव को ”प्रभावित” करने की कोशिश कर रहे हैं।.

माकपा की त्रिपुरा प्रदेश समिति के सचिव जितेंद्र चौधरी ने सीईसी को अलग से एक पत्र भेजा है, जिसमें अपने आरोपों को दोहराते हुए येचुरी ने शीर्ष चुनाव और पुलिस अधिकारियों के साथ शाह की कथित “गुप्त बैठक” का मुद्दा उठाया। अधिकारियों में पुलिस महानिदेशक भी शामिल हैं।

 

सीताराम येचुरी बोले- त्रिपुरा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट को होगा फायदा

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि चुनाव में होने वाले त्रिकोणीय मुकाबले से लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को मदद मिलेगी.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक येचुरी ने कहा कि 16 फरवरी को होने वाले इलेक्शन के लिए स्थानीय स्तर के नेता (टिपरा मोथा जैसे) अन्य दलों के साथ संभावित समायोजन को देखने के साथ ही इस बात का आकलन करेंगे कि बीजेपी को हराने में कौन सर्वाधिक सक्षम है.

जनजातीय एरिया से कितनी सीटें मिली?

येचुरी ने कहा कि बीजेपी और उसकी सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने पिछले चुनाव में जनजातीय इलाकों की 20 में से 18 सीटें जीती थीं. राज्य विधानसभा की 60 में से 20 सीट जनजातीय क्षेत्रों के लिए आरक्षित हैं. बीजेपी ने 2018 में कुल 36 सीटें जीती थीं, जिनमें से आधी सीट जनजातीय क्षेत्र से मिली थीं. उन्होंने दावा किया कि इस बार जनजातीय क्षेत्रों में टिपरा मोथा सबसे आगे है.

‘दोबारा नहीं मिलेगा’

येचुरी ने कहा कि आईपीएफटी को बीजेपी ने सिर्फ पांच सीटें दी हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार बीजेपी को जो फायदा मिला था, वह उसे दोबारा नहीं मिलेगा. इससे वाम-कांग्रेस गठबंधन को मदद मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों में सीपीएम को मिले 42.22 प्रतिशत और कांग्रेस के दो प्रतिशत वोटों की तुलना में बीजेपी को 43.59 फीसदी वोट मिले थे. येचुरी ने कहा कि हमें पिछली बार से इस बार अधिक मिलेगा.

चुनाव क्यों है अहम?

त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक कड़ा मुकाबला हो सकता है. येचुरी ने शुक्रवार (10 फरवरी) को कहा था कि हालांकि टिपरा मोथा के साथ कोई चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं है, लेकिन आदिवासी पार्टी के साथ स्थानीय स्तर पर कुछ समझ कायम हो सकती है, जो राज्य के मौजूदा चुनावों में तीसरे ध्रुव के रूप में उभरी है.

‘जमीनी स्तर के नेता तय करेंगे’

येचुरी ने अपने इस बयान को समझाते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर बीजेपी को हराने में कौन सफल होगा, यह आकलन जमीनी स्तर के नेता तय करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने कहा कि उस समय ऐसी (समझौते की) संभावना है क्योंकि लोग तय करेंगे कि कौन इस (बीजेपी को हराने) उद्देश्य को हासिल कर सकता है.”