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मालदीव में भारत के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है, भारत, मालदीव से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाए!

मालदीव में भारत के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है, भारत के क़रीबी घटक माने जाने वाले इस देश में अब नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के नेतृत्व में आई नई सरकार ने अपने कामकाज के पहले दिन भारत से औपचारिक गुज़ारिश की है कि वो मालदीव से भारतीय सैनिकों को वापस बुलाए।

राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है कि मालदीव सरकार ने औपचारिक तौर पर भारत सरकार से गुज़ारिश की है कि मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को वहां से हटाया जाए।

मुहम्मद मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति चुने जाते ही भारत में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि नई सरकार भारत से सेना वापस बुलाने के लिए कहेगी।

राष्ट्रपति कार्यालय से जारी होने वाले बयान में बताया गया कि राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने गए भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाक़ात के दौरान मुइज़्ज़ू ने द्विपक्षीय रिश्तों को मज़बूत करने को लेकर चर्चा की साथ ही भारत की मदद से मालदीव में चल रही परियोजनाओं पर भी बात हुई। इसी मौक़े पर राष्ट्रपति ने यह मांग रखी कि भारत मालदीव से अपने सैनिक वापस बुलाए।

बातचीत के दौरान राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने कहा कि सितंबर में मालदीव में हुए चुनावों में जनता ने बहुमत से उनका और उनके उस कैंपेन का समर्थन किया है जिसमें भारत से सेना हटाने की बात करना शामिल था। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत सरकार मालदीव के लोगों की गणतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगी और वहां तैनात अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाएगी।

जानकारों का मानना है कि मालदीव में चीन विकास परियोजनाओं की वजह से अपनी जगह बना रहा है। हालांकि नए राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू कह चुके हैं कि वो विकास के पक्षधर हैं और चीन और भारत दोनों के साथ ही बेहतर रिश्ते चाहते हैं।

समाचार एजेंसी एएफ़पी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिकों की जगह चीनी सैनिकों को देश में तैनात कर वो क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ना नहीं चाहते।

इस दौरान मुइज़्ज़ू ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विशेष दूत के रूप में स्टेट काउंसिलर शेन यीचिन से मुलाक़ात की और चीन और मालदीव के बीच संबंध और अधिक मज़बूत करने पर चर्चा की।

मालदीव के लिए फ़लस्तीन के दूत वालिद एएम अबू अली से मुलाक़ात के दौरान मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने कहा कि मालदीव के लोग पहचान और सम्मान की फ़लस्तीनी लोगों की लड़ाई में उनके साथ हैं। उन्होंने ग़ज़ा में इसराइल के सैन्य अभियान की कड़ी आलोचना की और तुरंत युद्ध विराम की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।