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मुंबई की विशेष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जेल महानिरीक्षक को जेल से तीन कैदियों को रिहा करने पर जांच शुरू करने का निर्देश दिया!

मुंबई की एक विशेष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जेल महानिरीक्षक को जेल अधीक्षक के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। मामला महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनयम (मकोका) के तहत दर्ज एक मामले में तीन कैदियों को रिहा करने से जुड़ा है।

विशेष न्यायाधीश बीडी शेल्के ने सोमवार को पारित आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित केंद्रीय जेल के अधीक्षक को समय-समय पर निर्देश दिया गया कि वह आरोपियों को मुंबई की विशेष अदालत के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से या वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश करें।

28 जनवरी को कर दिया था रिहा
आदेश में कहा गया कि 12 जून को अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। जेल अधीक्षक ने सोमवार को शेख को विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश किया और अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें अन्य तीन आरोपियों के बारे में कुछ नहीं कहा गया। इस साल 28 जनवरी को अधीक्षक द्वारा विशेष अदालत को भेजे गए एक संदेश में कहा गया था कि कुरैशी, सालुंखे और शाह को 2022 में जेल से रिहा कर दिया गया था।

कोर्ट ने जताई नाराजगी
विशेष न्यायाधीश ने कहा कि जब उन्हें पता था कि इन आरोपियों के खिलाफ मकोका के तहत दर्ज मामला इस अदालत के समक्ष लंबित है, तो उन्होंने तीनों आरोपियों को इस अदालत में पेश करने या उनकी हिरासत इस अदालत को सौंपने के बजाय जेल से रिहा कर दिया। यह जेल अधीक्षक की ओर से एक गंभीर कदाचार है।