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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को अनावश्यक, अव्यावहारिक और बेहद नुक़सानदायक क़रार दिया!

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाइसवें विधि आयोग की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर परामर्श प्रक्रिया एक बार फिर शुरू करने पर बयान दिया है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड ( समान नागरिक संहिता) को अनावश्यक, अव्यावहारिक और बेहद नुकसानदायक करार दिया है.

बोर्ड ने कहा है कि सरकार को देश के संसाधनों को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए और समाज में उथलपुथल की स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए.

बोर्ड के प्रवक्ता डॉ एस क्यू आर इलियास ने एक बयान में कहा, ” हमारे देश में कई धर्मों, संस्कृतियों और भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं और यही विविधता इसकी पहचान है.”

बोर्ड ने सरकार से अपील की है कि वो धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करे.

दरअसल, बाइसवें विधि आयोग ने यूनीफ़ॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर परामर्श प्रक्रिया को एक बार फिर शुरू करने का फ़ैसला किया है.

इसके तहत आयोग ने आम लोगों और सरकारी मान्यता प्राप्त धार्मिक संस्थाओं से विचार मांगे हैं.

पीआईबी के मुताबिक़, जो लोग यूनीफ़ॉर्म सिविल कोड पर अपने विचार रखना चाहते हैं, वे विधि आयोग यानी लॉ कमीशन की वेबसाइट पर जाकर नोटिस जारी होने के 30 दिन के भीतर अपनी राय रख सकते हैं.

इससे पहले 21वें विधि आयोग ने भी इस विषय पर अध्ययन किया था और इस पर और चर्चा की ज़रूरत बताई थी. इस बात को 3 साल से ज़्यादा समय बीत चुका है. अब इस प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया जा रहा है.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में भारत में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं.

हालांकि, देश की आज़ादी के बाद से समान नागरिक संहिता या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड की मांग उठती रही है.

इस मांग के तहत एक इकलौता क़ानून होना चाहिए जिसमें किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह नहीं की जाएगी.