देवबंद: प्रदेश की योगी सरकार द्वारा वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के आरोपियों को बचाए जाने के प्रयासों पर कांग्रेस सांसद व दारुल उलूम की मजलिस-ए-शूरा के सदस्य मौलाना असरारुल हक कासमी ने कहा कि यह सरासर अन्याय और हजारों मजलूमों के जख्मों पर नमक छिड़कने के बराबर है।
शुक्रवार को जारी बयान में मौलाना असरारुलहक कासमी ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों में जिस तरह खुलेआम भाजपा नेताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और लोगों को भड़का कर एक विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया वह भारतीय इतिहास में बदनुमा दाग है। जिसके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी।
मौलाना ने कहा कि अफसोस की बात है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी लोकसभा चुनाव में लाभ उठाने और जाट समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इस तरह की चाल चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की कार्रवाई से मुजफ्फरनगर दंगों में प्रभावित होने वाले हजारों लोगों के साथ यह दोहरा जुल्म होगा। मौलाना असरारुलहक ने राज्य व केंद्र सरकार से इस मामले में निष्पक्ष और भेदभाव से ऊपर उठकर कार्रवाई करने की मांग की है।
भयानक दँगे 2013 में हुए थे उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी,दँगोँ में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिये अपराधियों पर मुक़दमे दर्ज हुए जिससे पीड़ितों को उम्मीद थी कि इंसाफ होगा लेकिन वक़्त के साथ कुर्सी बदली तो इंसाफ का पैमाना भी बदला हुआ नज़र आरहा है और दोषियों को सरकार माफ़ करने का ऐलान कर रही है।
जिसके कारण दँगोँ में पीड़ित मुक़दमे वापसी को ज़ख्मों को फिर से हरा करने जैसा बता रहे हैं,पीडितों से जब इस बारे में बात हुई तो मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा योगी जी म्हारे ज़ख्मों को हरा न करो जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुजफ्फरनगर और शामली में रहने वाले पीड़ित इस फैसले से कितना आहत है,पीड़ितों ने मांग करी है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए, उन्हें हर हाल में कानून के अंजाम तक पहुंचाया जाए. हां, अगर कहीं झूठे मुकदमे हैं तो सरकार उन्हें जांच के बाद वापस ले सकती है।