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मेरा ईश्वर तो वो है जो वेद, बाइबिल और क़ुरआन में परिभाषित किया गया है और वही मेरे लिए पूज्य हैं

कश्मीरा शाह चतुर्वेदी
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मेरा ईश्वर ( संचालक ) तो वो है जो वेद बाइबिल और क़ुरआन में परिभाषित किया गया है और वही मेरे लिए पूज्य हैं ।
वेदों के अनुसार :–

🕉️ ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव। यद् भद्रन्तन्नऽआ सुव । शब्दार्थ :— हे सकल जगत् के उत्पत्तिकर्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, शुद्धस्वरूप, सब सुखों के दाता !

🕉️ जो सांसारिक इच्छाओं के अधीन हैं उन्होंने अपने लिए ईश्वर के अतिरिक्त झूठे उपास्य बना लिए है। वह जो मुझे जानते हैं कि मैं ही हूं, जो अजन्मा हूं, मैं ही हूं जिसकी कोई शुरुआत नहीं, और सारे जहां का मालिक हूं।’ -भगवद् गीता

🕉️ यो भूतं च भव्‍य च सर्व यश्‍चाधि‍ति‍ष्‍ठति‍।।

स्‍वर्यस्‍य च केवलं तस्‍मै ज्‍येष्‍ठाय ब्रह्मणे नम:।। -अथर्ववेद 10-8-1 भावार्थ :— जो भूत, भवि‍ष्‍य और सब में व्‍यापक है, जो दि‍व्‍यलोक का भी अधि‍ष्‍ठाता है, उस ब्रह्म (परमेश्वर) को प्रणाम है।

🕉️ इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो दिव्य: स सुपर्णो गरुत्मान् ।।

।। एकं सद् विप्रा बहुधा वदंत्यग्नि यमं मातरिश्वानमाहु: ।। -ऋग्वेद (1-164-43) भावार्थ :– जिसे लोग इन्द्र, मित्र, वरुण आदि कहते हैं, वह सत्ता केवल एक ही है; ऋषि लोग उसे भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते हैं।

🕉️”मा चिदन्यद्वि शंसत सखायो मा रिषण्यत। इन्द्रमित्स्तोता वृषणं सचा सुते मुहुरुक्था च शंसत।।”अर्थ :- हे मित्रो! केवल सर्वैश्वर्य सम्पन्न परमात्मा की स्तुति करो अन्य किसी की नहीं। इस प्रकार अन्यों की स्तुति करके दुःखी न होओ। बार-बार यज्ञादि सब शुभ कर्मों में समस्त सुखवर्षक भगवान् की ही स्तुति करते रहो।

क़ुरआन के अनुसार:—

🇸🇦 ऐ नबी कहो, वह अल्लाह यकता है, अल्लाह सब से निरपेक्ष है और सब उसके मुहताज हैं।न उस की कोई संतान है और न वह किसी की संतान। और कोई उसका समकक्ष नहीं है। (सूरः112 अल-इख्लास)

🇸🇦 अल्लाह वह जीवन्त शाश्वत सत्ता, जो सम्पूर्ण जगत् को सँभाले हुए है,उस के सिवा कोई पुज्य नही हैं। वह न सोता और न उसे ऊँघ लगती है। ज़मीन और आसमानों में जो कुछ है, उसी का है। कोई नही है जो उस के सामने उसकी अनुमति के बिना किसी की सिफारिश कर सके।जो कुछ बन्दों के सामने है, उसे भी वह जानता है । और जो कुछ उस से ओझल है, उसे भी वह जानता है। और उसके ज्ञान में से कोई चीज़ उनके ज्ञान की पकड़ में नहीं आ सकती,यह और बात है कि किसी चीज़ का ज्ञान वह खुद ही उनको देना चाहे।उसका राज्य आसमानों और ज़मीन पर छाया हुआ है । और उनकी देख रेख उसके लिए थका देने वाला काम नहीं है। बस वही एक महान और सर्वोपरि सत्ता है।(सूरः अल- बकराः 255)

🇸🇦 वह आकाशों और धर्ती का रब और हर उस चीज़ का रब है जो आकाशों और धर्ती के बीच हैं।यदि तुम लोग वास्तव में विश्वास रखने वाले हो, कोई माबूद उसके सिवा नही है। वही जीवन प्रदान करता है और वही मृत्यु देता है।वह तुम्हारा रब है और तुम्हारे उन पुर्वजों का रब है जो तुम से पहले गुज़र चुके हैं।
(सुरह दुखानः7-8)

🇸🇦 लोगो! पूजा करो अपने उस रब (मालिक) की जो तुम्हारा और तुम से पहले जो लोग हूऐ हैं उन सब का पैदा करने वाला है। तुम्हारे बचने की आशा इसी प्रकार हो सकती है।
वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को बिछौना बनाया,
आकाश को छत बनाया, ऊपर से पानी बरसाया
और उसके द्वारा हर प्रकार की पैदावार निकाल कर तुम्हारे लिए रोजी जुटाई । अतः जब तुम यह जानते हो तो दुसरों को अल्लाह के समकक्ष न ठहराऔ। (सूरः अल-बक़रा 22)

बाइबिल के अनुसार :—

✝️ परमेश्‍वर आत्मिक प्राणी है। (2 कुरिंथियों 3:17)
वह हमसे कहीं महान है। हम इंसानों का परमेश्‍वर को देखना नामुमकिन है। 1 तीमुथियुस 1:17 में लिखा है कि वह ‘युग-युग का राजा, अनश्‍वर, अदृश्‍य’ है। बाइबल यह भी कहती है: “किसी ने कभी-भी परमेश्‍वर को नहीं देखा है।”—1 यूहन्‍ना 4:12

✝️ हम उसे जान सकते हैं और उसके करीब आ सकते हैं। (याकूब 4:8) इसके अलावा, परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई जानकर, हम झूठी उपासना से दूर रह सकते हैं और मूर्ति पूजा में पड़ने से बच सकते हैं। जैसा 1 यूहन्‍ना 5:21 में बताया गया है कि “प्यारे बच्चो, खुद को मूरतों से बचाए रखो।”

✝️ परमेश्‍वर ने इंसानों को अपने स्वरूप में बनाया, इसका मतलब है कि इंसानों को परमेश्‍वर ने उन गुणों के साथ बनाया जो खुद उसमें हैं। यही वजह है कि इंसानों में परमेश्‍वर के जैसे गुण दिखाने की काबिलीयत है, जैसे प्यार, न्याय और बुद्धि। बाइबल बढ़ावा देती है: “परमेश्‍वर के प्यारे बच्चों की तरह उसकी मिसाल पर चलो, और प्यार की राह पर चलते रहो।”—इफिसियों 5:1, 2.

✝️ परमेश्‍वर ने हमें अपने फैसले खुद लेने की आज़ादी दी है। हम सही और गलत के बीच चुनाव कर सकते हैं और अलग-अलग तरीकों से प्यार ज़ाहिर कर सकते हैं। (1 कुरिंथियों 13:4-7) हम नयी-नयी चीज़ें बनाने और खूबसूरत नज़ारों का मज़ा लेने की काबिलियत रखते हैं, परमेश्‍वर की बनायी इस अनोखी दुनिया को देखकर हमारा दिल विस्मय और श्रृद्धा से भर जाता है। सबसे बढ़कर, हमारे अंदर आध्यात्मिक भूख यानी परमेश्‍वर और उसकी मरज़ी को जानने की ख्वाहिश है जो परमेश्‍वर की तरफ से एक तोहफा है।—मत्ती 5:3.

इन सभी विवरणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ईश्वर वह है जो अकेला है, सदैव से हैं जो अनंतकाल तक रहेगा , सृष्टि मे हर संजीव और निर्जीव उसकी रचना है । न उसने किसी से जन्म लिया है और न कोई उसकी संतान है, और न ही उसने किसी भी रूप में इस धरती पर अवतार लिया है । उसके साकार रूप को किसी ने नहीं देखा है अतः यह हम यह कह सकते हैं कि वह निराकार है । और एक मात्र वहीं है जिसकी हमें स्तुति वन्दना इबादत जिक्र करना चाहिए उसी से प्रार्थना करनी चाहिए और हर एक अच्छा काम करने से पहले उसी का नाम लेना चाहिए और उसी को समर्पित करना चाहिए ।