धर्म

मैराजुन्नबी तक का सफर

Shams Bond
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#ختم_رسل (٢٦)
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⭐मैराजुन्नबी तक का सफर⭐
तिब्बई तअल्लूक था इक हद ए फ़ासिल
नए मरहले में हुआ इश्क़ शामिल
था कुर्ब ए हुजूरी ए ख़ास उसको हासिल
चला सु ए #अर्श ए बरिं तन्हा वासिल
फरिश्तों को अब हाल व काल आ रहा था
कि क्या क्या ना दिल में ख़्याल आ रहा था
जो तालिब से मतलूब उसका मिलेगा
तो अर्श ए बरीं किस कदर झूम उठेगा
तो फिर शौक का सिलसिला क्या थमेगा
इधर टीस उठेगी,उधर दिल दुखेगा
फ़क़त पर्द: ए हुस्न ए वहम व गुमां था
जो आशिक़ व मअशुक के दरम्यान था
मगर हुस्न ए आदाब ए वुसलत रवा था
कि दोनों में कौसीन का फासला था
उधर जलव: ए रब्ब ए अर्शुल उला था
इधर हुस्न ए हबीब ए खुदा था
किया आपने नूर ए हक़ का नज़ारा
तो राज़ ए दो आलम हुआ आश्कारा
ये हक्कुल यकीनी ये ऐनी फ़साना
बयां क्या करें इस को अल्फ़ाज़ व मअना
नमाज़ों का तोहफ़ा ज़ जल्ल व शाना
ब इसरार पैहम मिला मिला पंजगाना
यूं अज़्ज़ व जल्ल की कुदरत भी देखी
जहन्नुम को देखा और जन्नत भी देखी
वहां इश्क़ गरदां ब शौक़ ए तबादुर
यहां अक्ल हैरां ब फ़िक्र ए तवातुर
ये मैराज थी जाए औज ए तफ़ाख़ुर
कि था इम्तहान ए तदय्युन , तदाबुर
किया जिसने इंकार ज़िंदिक़ ठहरा
कहा जिसने सच है वो #सिद्दीक़ ठहरा
#बदीउज़्ज़मां_सेहर