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मोहन भागवत ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ फिर उग़ला ज़हर, हिन्दू कट्टरवाद का किया समर्थन!

भारत के कट्टरपंथी हिन्दू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने ताज़ा बयान में कहा है कि हिन्दू समाज लगभग हज़ार वर्षों से एक युद्ध में है और लड़ना है तो दृढ़ होना ही पड़ता है। साथ ही, उन्होंने भारत को हिंदुस्तान बताते हुए मुसलमानों को भी ख़ुद में सुधार करने की सीख दी है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के हिन्दू कट्टरपंथी संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिन्दू समाज लगभग हज़ार वर्ष से एक युद्ध में है। यह युद्ध विदेशी लोग, विदेशी प्रभाव और विदेशी षड्यंत्र, इनसे एक लड़ाई चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस जंग में संघ ने काम किया है और लोगों ने भी काम किया है। भागवत ने कहा कि बहुत से लोगों ने इसके बारे में कहा है, उसके चलते हिन्दू समाज जागृत हुआ है। उनके अनुसार, स्वाभाविक है कि लड़ना है तो दृढ़ होना ही पड़ता है। मोहन भागवत ने हिन्दू धर्म, संस्कृति और समाज की सुरक्षा की बात करते हुए कहा कि, ‘अभी हिन्दू समाज जागृत नहीं हुआ है। वह लड़ाई बाहर से नहीं है, वह लड़ाई अंदर से ही। हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति, हिन्दू समाज की सुरक्षा का प्रश्न है, उसकी लड़ाई चल रही है। अब विदेशी नहीं हैं, पर विदेशी प्रभाव है, विदेश से होने वाले षड्यंत्र हैं। इस लड़ाई में लोगों में कट्टरता आएगी। नहीं होना चाहिए, फिर भी उग्र वक्तव्य आएंगे।’

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि, ‘हमारी राजनीतिक स्वतंत्रता को छेड़ने की ताक़त किसी में नहीं है। इस देश में हिंदू रहेगा, हिंदू जाएगा नहीं, यह निश्चित हो गया है। हिंदू अब जागृत हो गया है। इसका उपयोग करके हमें अंदर की लड़ाई में विजय प्राप्त करना है।’ उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन ने आज जो ताक़त बढ़ाई है, उसकी योजना 1948 में बनाई थी, इसलिए हमें (हिंदू) भी आगे जाने के लिए अभी पहल करनी होगा। उन्होंने कहा, ‘आज हम ताक़त की स्थिति में हैं, तो हमको भी अपनी ताक़त की स्थिति में आज कौन सी पहल करनी है, जिससे आगे जा सकें, यह ध्यान रखना होगा। यह कार्यवाही नहीं है, लेकिन हमेशा लड़ाई के मोड में रहेंगे तो कोई फ़ायदा नहीं है.’ भागवत ने कहा, ‘हिंदुस्तान, हिंदुस्तान बना रहे, सीधी-सी बात है। इसमें आज हमारे भारत में जो मुसलमान हैं, उनको कोई नुक़सान नहीं, वह हैं। रहना चाहते हैं, रहें। पूर्वजों के पास वापस आना चाहते हैं, आएं। उनके मन पर है। हिंदुओं में यह आग्रह है ही नहीं। इस्लाम को कोई ख़तरा नहीं ह। हां, हम बड़े हैं। हम एक समय राजा थे। हम फिर से राजा बनें। यह छोड़ना पड़ेगा। हम सही हैं, बाक़ी गलत। यह सब छोड़ना पड़ेगा। हम अलग है, इसलिए अलग ही रहेंगे, हम सबके साथ मिलकर नहीं रह सकते, यह छोड़ना पड़ेगा। किसी को भी (ऐसा सोचना) छोड़ना पडे़गा। ऐसा सोचना वाला कोई हिंदू है, उसको भी छोड़ना पड़ेगा। कम्युनिस्ट है, उनको भी छोड़ना पड़ेगा।