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मोहम्मद ज़ुबैर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, ज़मानत याचिका ख़ारिज़ : नूपुर शर्मा ग़ायब

ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर की पुलिस हिरासत की अवधि ख़त्म होने के बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उन्हें आज मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवारिया की कोर्ट में पेश किया गया था.

हालांकि मोहम्मद ज़ुबैर की जमानत याचिका पर आज के फ़ैसले को लेकर काफी देर तक भ्रम की स्थिति बनी रही. शुरू में दोपहर ढाई बजे के करीब समाचार एजेंसियों ने ये रिपोर्ट दी कि मोहम्मद ज़ुबैर को जमानत मिल गई है.

Extremely scandalous & speaks of status of rule of law in our country today that even before judicial magistrate has sat & pronounced the order, Police has leaked the order to media. How KPS Malhotra knows what the order is beyond me. This calls for introspection: Soutik Banerjee

लेकिन इसके बाद मोहम्मद ज़ुबैर के वकील सौतिक बनर्जी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि “लंच के वक्त तक बहस हो गई और जज ने फ़ैसला सुरक्षित रखा है. लंच के बाद जज अभी तक नहीं आए हैं. इस बात से हैरत हुई है कि डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने मीडिया को ये ख़बर लीक कर दी कि जमानत याचिका खारिज कर दी गई है और ज़ुबैर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. ये बेहद चौंका देने वाली बात है और ये हमारे देश में क़ानून के राज की स्थिति भी बताता है कि जज के फ़ैसले से पहले इसका एलान कर दिया जाता है. पुलिस ने मीडिया को ऑर्डर लीक कर दिया है. केपीएस मल्होत्रा को कैसे पता चला कि फ़ैसला क्या है. इस घटना पर आत्म विश्लेषण की ज़रूरत है.”

Delhi Police DCP KPS Malhotra says he informed media incorrectly that AltNews’ Mohammed Zubair has been sent to 14-day judicial custody

— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2022

हालांकि शाम साढ़े पांच बजे के करीब डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उन्होंने मीडिया को गलत जानकारी दी थी.

बाद में शाम सात बजे के करीब मोहम्मद ज़ुबैर की जमानत याचिका पर फ़ैसले की खबर की आखिरकार पुष्टि हुई.

Delhi court rejects Alt News co-founder Mohd Zubair’s bail plea, sends him to 14-day judicial custody

— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2022

कोर्ट में क्या हुआ
दिल्ली पुलिस की ओर से सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट से ज़ुबैर के लिए 14 दिन की न्यायिक हिरासत की मांग की.

वहीं, ज़ुबैर की ओर से दलील रख रहीं वकील वृंदा ग्रोवर ने जमानत याचिका दाखिल की जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का फ़ैसला सुनाया.

छोड़िए Twitter पोस्ट, 5
After reconvening, Delhi court dismisses bail plea of Alt News co-founder Mohammed Zubair and sends him to 14-day judicial custody

— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2022

सरकारी वकील श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कुछ नए तथ्य रिकॉर्ड पर आए हैं. इसलिए पुलिस ने अभियुक्त ज़ुबैर के ख़िलाफ़ कुछ नई धाराएं लगाई हैं. ज़ुबैर के ख़िलाफ़ आईपीसी की 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 201 (सबूत मिटाना) और फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट की धारा 35 भी लगाई है.

छोड़िए Twitter पोस्ट, 6
The bail plea of Mohd Zubair has been canceled and our application for judicial remand has been accepted. Three new sections have been invoked 201 and 120 of IPC and 35 FCR Act: Atul Shrivastava, Special Public Prosecutor for Delhi Police pic.twitter.com/jgfEOgXkTn

— ANI (@ANI) July 2, 2022

श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि हमने ज़ुबैर का लैपटॉप और मोबाइल जब्त किया है. इनमें से भी कुछ चीजें मिली हैं.

वृंदा ग्रोवर ने इस पर कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि ट्वीट साल 2018 के हैं जबकि जो फोन वो इस्तेमाल कर रहे हैं, वो अलग है. उन्होंने कहा कि ज़ुबैर ने ट्वीट से इनकार नहीं किया है. उन्हें इसे लेकर ट्विटर को कहना चाहिए कि वो इसे वेरिफ़ाई करें.

दिल्ली पुलिस

वृंदा ग्रोवर ने कहा, “दिल्ली पुलिस ने लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त किया है लेकिन इससे उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिले हैं. इस मामले में वो उनका अपराध सिद्ध करने में भी नाकाम रहे हैं. दिल्ली पुलिस सिर्फ़ इस मामले में अनावश्यक देरी करने की कोशिश कर रही है.”

ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस उनके ख़िलाफ़ अपनी मनगढ़ंत कहानी को आगे बढ़ाने के लिए ग़ैरक़ानूनी तरीके से कार्रवाई कर रही है

उन्होंने कहा, “अपराध साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री या सबूत नहीं है. “

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में जांच जारी है. ज़ुबैर ने पाकिस्तान और सीरिया समेत कई देशों से कथित तौर पर विदेशी फंड हासिल किए हैं. इसलिए उनके ख़िलाफ़ एफ़सीआरए की धारा 35 लगाई गई है.

श्रीवास्तव ने कहा कि जब ज़ुबैर दिल्ली पुलिस के बुलाने पर पूछताछ के लिए आए तब उन्होंने बताया कि वो उस दिन के पहले तक दूसरा सिम कार्ड और फ़ोन इस्तेमाल कर रहे थे. जिसे उन्होंने दिल्ली पुलिस को दिखाया. नोटिस मिलने के बाद उन्होंने वो सिम फेंक दिया और दूसरे फ़ोन में लगाया. इस शख्स को देखिए वो कितने चालाक हैं.

इस पर वृंदा ग्रोवर ने सवाल किया कि एक व्यक्ति का सिम या फ़ोन बदलना कोई अपराध है? फ़ोन को रिफ़ॉर्मेट करना कोई अपराध है? क्या चतुर होना कोई जुर्म है? ये सब आईपीसी या किसी और धारा के तहत किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. आप हो सकता है कि किसी व्यक्ति को पसंद न करते हों. ये ठीक है लेकिन आप (उनके ख़िलाफ़) किसी तरह विद्वेषपूर्ण या गलत बयान नहीं दे सकते हैं.

कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड्स
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस उन्हें ऐसे फँसाना चाहती है जहां से निकलने का कोई रास्ता न हो. इस देश में आप उन्हें झूठे मामले में नहीं फंसा सकते हैं. कोर्ट को निष्पक्षता की रक्षा करनी होगी. वो पहले ही पांच दिन की पुलिस हिरासत में रहे हैं. उन्होंने सभी नोटिसों का जवाब दिया है. अब उनकी ज़रूरत नहीं है. वो (पुलिस) ख़ुद उन्हें (ज़ुबैर को) न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग कर रहे हैं.

दिल्ली पुलिस के वकील श्रीवास्तव ने कहा कि अभियुक्त की कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड्स (सीडीआर) की जांच से प्रथम दृष्टया ये पाया गया कि उन्होंने कथित तौर पर रेज़र गेटवे के जरिए पाकिस्तान और सीरिया से फंड हासिल किए हैं. ऐसे मामले (पैसे के लेनदेन) में उनका अपराध साबित करने के लिए जांच किए जाने की ज़रूरत है.

वृंदा ग्रोवर ने जमानत दिए जाने की मांग करते हुए कहा, “मोहम्मद ज़ुबैर एक युवा पत्रकार और फैक्ट चेक करने वाले व्यक्ति हैं. वो ऐसे नागरिक हैं जिन पर हम सभी को गर्व करना चाहिए और उन्हें जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए. “

वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उन्होंने सबूत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की है और उनके ख़िलाफ आईपीसी की धारा 201 लगाए जाने को ग़लत बताया. उन्होंने कहा, “वो मासूम व्यक्ति हैं. वो पत्रकार हैं और ज़िम्मेदार व्यक्ति हैं. इसलिए कृपया उन्हें जमानत पर रिहा करें. सब कुछ दिल्ली पुलिस की आंखों के सामने है. वो पांच दिन से दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं.”

जांच एजेंसियों से असहयोग का आरोप
वहीं, अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि वृंदा ग्रोवर सिर्फ़ अपनी कही बातों को दोहरा रही हैं. उन्होंने कहा, “ज़ुबैर इस मामले में जांच एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं. कोर्ट को उनकी जमानत याचिका ख़ारिज कर देनी चाहिए. “

श्रीवास्तव ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 41 के तहत पुलिस को अधिकार दिया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी केस में अपनी भूमिका को लेकर जांच एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं कर रहा है तो उसे गिरफ़्तार किया जा सकता है.

उन्होंने पाकिस्तान और सीरिया से विदेशी फंड क्यों और कब हासिल किए, इस बारे में जांच की जानी है.

वृंदा ग्रोवर की दलील को लेकर श्रीवास्तव ने कहा, “ये कहना कि वो एक युवा पत्रकार हैं और हमें उन पर गर्व होने चाहिए तो मुझे कोर्ट से ये कहना है कि ज़ुबैर का अभियान और गतिविधियां संदिग्ध हैं. उन्हें विदेश से फंड या दान मिल रहे हैं, इसकी जांच होनी ज़रूरी है. इसलिए कोर्ट को उन्हें जमानत नहीं देनी चाहिए.”