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यूएन जनरल असेंबली में ग़ज़ा संकट पर लाए गए प्रस्ताव पर भारत के वोटिंग में हिस्सा न लेने पर असदुद्दीन ओवैसी ने निंदा की

एआईएमआईएम के चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने यूएन जनरल असेंबली में ग़ज़ा संकट पर लाए गए प्रस्ताव पर भारत के वोटिंग में हिस्सा न लेने की निंदा की है.

प्रस्ताव ग़ज़ा में नागरिकों की सुरक्षा और वहां क़ानूनी और मानवीय क़दमों को जारी रखने के समर्थन में था.

ओवैसी ने मोदी सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, ”ये स्तब्ध करने वाला है कि नरेंद्र मोदी सरकार मानवीय समझौते और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लाए गए संयुक्त राष्ट्र के समझौते के प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रही.”

“ग़ज़ा में इसराइल अब तक 7028 लोगों को मार चुका है. इनमें से 3000 से ज्यादा बच्चे और 1700 महिलाएं हैं. कम से कम 75 फीसदी ग़ज़ा ध्वस्त कर दिया गया है. 14 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं. शांतिकाल में भी ग़ज़ा के लोगों को भी नाकेबंदी का शिकार बनाया गया.”

उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा है, ”ये मानवता से जुड़ा मुद्दा है राजनीतिक नहीं, लेकिन प्रस्ताव पर वोटिंग से परहेज कर भारत ग्लोबल साउथ, दक्षिण एशिया और ब्रिक्स में अकेले खड़ा हो गया है. आख़िर नागरिकों की ज़िंदगी से जुड़े मुद्दे पर भारत ने वोटिंग से परहेज क्यों किया. ग़ज़ा के लिए मदद भेजने के बाद वोटिंग से परहेज क्यों? एक दुनिया, एक परिवार और विश्व गुरु का क्या हुआ?”

उन्होंने लिखा है, ”नरेंद्र मोदी ने हमास के हमले की तो निंदा की लेकिन समझौते के लिए यूएन के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हो पाए. उन्होंने जॉर्डन के किंग से कुछ दिनों पहले बात की लेकिन जॉर्डन के लाए गए प्रस्ताव से दूर रहे. ये असंगत विदेश नीति है.”