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यूक्रेन को हथियारों से लैस करने हेतु अमेरिकी आग्रह को मिस्र ने रद्द कर दिया, यूक्रेन को हथियार नहीं देंगे!

रूस-यूक्रेन के मध्य चलने वाले युद्ध में मिस्र का प्रयास निष्पक्ष रहने का है उसके बावजूद अमेरिका ने मिस्र का आह्वान किया है कि वह यूक्रेन के लिए हथियार भेजे जिसे मिस्र ने रद्द कर दिया है।

समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जरनल ने लिखा है कि यूक्रेन को हथियारों से लैस करने हेतु अमेरिकी आग्रह को मिस्री अधिकारियों ने रद्द कर दिया है। वाशिंग्टन ने मिस्र का आह्वान किया था कि वह यूक्रेन के लिए तोपखाने, टैंक विरोधी मिसाइल और दूसरे हल्के और भारी हथियारों को भेजे। इस मांग को अमेरिका के प्रतिरक्षामंत्री लॉएड ऑस्टिन और मिस्री राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अस्सीसी की पिछले मार्च महीने में होने वाली काहेरा यात्रा में भी पेश किया गया था।

यद्यपि मिस्री अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ वार्ता में इस मांग को साफ- साफ रद्द नहीं किया है परंतु मिस्री अधिकारी अपनी विशेष बैठकों में कहते हैं कि यूक्रेन हथियार भेजने का उनका कोई कार्यक्रम नहीं है और विदित रूप से प्रतीत यह हो रहा है कि अमेरिकी अधिकारियों को अभी मिस्र का यह संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।

एक अमेरिकी विश्लेषक और पत्रकार जेरिड माल्सिन कहते हैं कि वाशिंग्टन को संवेदनशील समय में पराजय मिली है कि वह मिस्र को यूक्रेन युद्ध में न खींच सका। यह एसी स्थिति में है जब अमेरिकी विदेशमंत्रालय के एक अधिकारी ने मिस्र द्वारा यूक्रेन युद्ध में वाशिंग्टन के समर्थन के प्रति उम्मीद जताई है और कहा है कि मिस्री अधिकारियों के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने के संबंध में होने वाली उनकी वार्ता लाभप्रद थी और वह आगे भी जारी रहेगी।

जानकार हल्कों का मानना है कि मिस्री अधिकारी जो अमेरिकी अधिकारियों की मांगों का जवाब नहीं दे रहे हैं तो उसकी बहुत सारी वजहें हैं। उसकी एक वजह मिस्र और रूस के पुराने और विस्तृत संबंध हैं जिसके दृष्टिगत मिस्री अधिकारी अमेरिकी अधिकारियों की मांगों का सकारात्मक जवाब नहीं दे रहे हैं क्योंकि वे अमेरिकी मांग का जवाब देकर रूस की नाराज़गी मोल नहीं लेना चाहते।

यद्यपि मिस्र को अमेरिका का घटक समझा जाता है और वह प्रतिवर्ष अमेरिका से एक अरब डालर से अधिक की सैन्य सहायता प्राप्त करता है उसके बावजूद हालिया वर्षों में मिस्री राष्ट्रपति अब्दुल फत्ताह अस्सीसी ने रूस के साथ अपने संबंधों को विस्तृत व प्रगाढ़ किया है।

अमेरिका ने मिस्र से मांग की थी कि वह रूसी विमानों को अपनी वायुसीमा के प्रयोग की अनुमति नहीं दे परंतु मिस्र ने अमेरिका की इस मांग को भी रद्द कर दिया। मिस्र द्वारा अमेरिकी मांग का रद्द किया जाना इस बात का सूचक है कि पश्चिम एशिया के साथ- साथ उत्तरी अफ्रीका में भी अमेरिकी प्रभाव कम हो रहा है।

यहां एक अन्य बिन्दु पर ध्यान देना ज़रूरी है और वह यह है कि अमेरिका यूक्रेन हथियार भेजने के लिए मिस्र का आह्वान क्यों कर रहा है? जानकार हल्के इसके जवाब में दो संभावनायें व्यक्त कर रहे हैं।

मिस्र से अमेरिकी मांग का एक कारण यह हो सकता है कि यूक्रेन को हथियारों की खेप भेजते- भेजते अमेरिकी शस्त्रागार भी खाली होने लगे हैं और अब वह मिस्र को रूस- यूक्रेन युद्ध में घसीट कर अपना बोझ हल्का व कम करना चाहता है जबकि जानकार हल्कों का कहना है कि अमेरिका मिस्र से जो यूक्रेन के लिए हथियार भेजने का आह्वान कर रहा है उसकी सामरिक वजह से कहीं अधिक राजनीतिक वजह है और अमेरिका, रूस और मिस्र के मध्य जो विस्तृत व घनिष्ठ संबंध हैं उसे वह खराब करना चाहता है।